हम बिज़नेस शुरू करने में सफल क्यों नहीं हो पाते ?
हम बिज़नेस शुरू करने में सफल क्यों नहीं हो पाते ?
हम असफल क्यों होते है , इसका जवाब हमारे खुद के पास है।
हम बिज़नेस में ही नहीं किसी भी चीज़ में क्यों असफल होते है ?
यह सवाल किसी ओर से पूछने की बजाय अगर हम खुद से पूछते है तो शायद हम खुद इसका जवाब सही तरह से दे पाए कि हम किसी चीज़ में पहले असफल हुए तो क्यों असफल हुए।
अगर मै यह सवाल खुद से पूछता हूँ तो बड़े जायके दार उत्तर निकल कर सामने आते है।
सबसे मज्जेदार सवाल : मै अपने क्रश को अपनी गर्ल फ्रेंड क्यों नहीं बना पाया ?
उत्तर : मैंने कभी कोशिश ही नहीं की। मैंने बिना कोशिश किये ही यह मान लिया कि मै इस कार्य में सफल ही नहीं हो सकता। जब मैंने मान ही लिया की मै सफल ही नहीं हो सकता तो मै कभी भी सफल नहीं हो सकता।
हम बिज़नेस में भी बहुत कुछ मान कर चलते है। हम बहुत सारे पूर्वाग्रह से ग्रषित होते है या मार्किट में बहुत सारे लोग अपनी बातो से हमारे मन में धारणाये बना देते है कि क्यों लोग हमसे प्रोडक्ट/सर्विस नहीं खरीदेंगे।
यह धारणाये हमे बहुत कुछ करने से रोकती है। बिज़नेस को शुरू करना एक क्रश की तरह होता है और उसको स्थापित करना एक गर्ल फ्रेंड की तरह होता है। बीच में बहुत बड़ी लकीर होती है। वो क्रश मेरी गर्ल फ्रेंड बन सकती थी या नहीं। मै नहीं जानता। मै केवल इतना जानता हूँ कि मैंने कोशिश नहीं की।
आपमें क्या है जो दुसरो में नहीं है। आपको सबसे अलग क्या करता है और क्या पता सामने वाला उसी वजह से आपसे जुड़ना चाहता है।
मेरे साथ कोई डिस्ट्रीब्यूटर, रिटेलर या डॉक्टर क्यों जुड़ना चाहेगा, मै क्या अलग या अतिरिक्त दे सकता हूँ जो दूसरे नहीं दे रहे। इसका उत्तर आपको खुद ढूंढ़ना पड़ेगा।
सवाल : मै क्यों एक sport पर्सन नहीं बन पाया जबकि मै अच्छा खासा खेल लेता था ?
उत्तर : क्यूंकि मुझे डर लगता था कि रास्ता मुश्किल है। अगर सफल नहीं हो पाए तो क्या ? और मैंने सरल रास्ता चुना। कॉलेज पूरा किया और लाइन में लग गया।
मैंने अपने अनुभव से पाया है कि सफर आसान नहीं है पर रास्ते खुद म खुद ही खुलते रहते है। बहुत दर्द सहना पड़ता है। यह दर्द शारीरिक नहीं होता , मानसिक होता है। एक अच्छा खिलाडी हार को खेल का एक हिस्सा मानता है, उसी तरह एक व्यवसायी हर सेट बैक को अपने इस खेल का हिस्सा ही मानता है।
हो सकता है यहां खोने को बहुत कुछ हो पर पाने को भी बहुत कुछ है। क्या होगा , क्या नहीं , कोई नहीं जानता। भविष्य को कोई नहीं देख सकता तो कौन सा निर्णय सही होगा, कौन सा गलत कोई नहीं जानता।
मेरा सरल रास्ता भी मुझे सही जगह ले आया। पर इस सवाल ने मुझे यह जानने में मद्द्त की sport पर्सन बनना ही सब कुछ नहीं था। उसी तरह अगर आपको लगता है कि बिज़नेस आपके लिए नहीं है तो आपका यह फैसला भी सही हो सकता है।
हो सकता है यह बाते शीर्षक से मेल न खाती हो पर सत्य यही है। डर एक कारण हो सकता है कि आप बिज़नेस शुरू नहीं कर पा रहे हो। पर यह गलत फैसला नहीं हो सकता। हो सकता है कि आप किसी दूसरी चीज़ में ज्यादा सफल हो।
एक व्यक्ति क्रिकेट ज्यादा अच्छी तरह खेलता है और एक व्यक्ति फुटबॉल। तो दोनों में से अच्छा कौन है। कोई भी नहीं। दोनों अपनी जगह सही है।
उसी तरह अगर आप बिज़नेस में न भी हो तो भी आप अपनी जगह सही हो।
सवाल : मै कॉलेज में क्लास में टॉप क्यों नहीं कर पाया ?
उत्तर : क्यूंकि मैंने कभी चाहा ही नहीं कि मुझे कभी टॉप करना है। मै कभी इतना पढ़ा ही नहीं की टॉप कर सकूँ। मेरी प्राथमिकता कभी भी टॉप करना रहा ही नहीं। मै जिंदगी को दूसरे नजरिये से देखना चाहता था। तो मैंने कभी टॉप नहीं किया और न ही कभी कर पाता। उसके लिए मुझे अपना माइंड सेट बदलना पड़ता जो मै करना नहीं चाहता था।
हमारी प्राथमिकताएं क्या है, इस बात पर भी निर्भर करता है कि हम क्या करने जा रहे है, क्या बनने जा रहे है। मैंने जब प्रोफेशनल लाइफ में पाया कि मुझे बिज़नेस शुरू करना है तो मेरे प्राथमिकताएं बदल गयी। मैंने जिंदगी को किसी और कोण से देखना शुरू किया। नया सीखना शुरू किया, नए रास्तो की तलाश शुरू की। और मेरे परिणामो में असर दिखना शुरू हुआ।
जब तक हम अपने नजरिये को नहीं बदलते। अपने माइंड सेट को नहीं बदलते , परिणाम नहीं बदल सकते।
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