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Showing posts from June, 2021

कुछ लोग बिज़नेस में खतपतवार की तरह होते है

 जब आपका बिज़नेस थोड़ा सही चलने लग जाता है तो आपको इसकी सुरक्षा भी करनी होती है उन लोगो से जो अब आपसे अपना मतलब निकलवाना चाहते है।  ये किसी क्लाइंट्स के रूप में हो सकते है, आपके नए दोस्त के रूप में हो सकते है , या किसी पुराने दोस्त के रूप में , नए सहयोगी के रूप में या किसी भी रूप में हो सकता है।  आपको बिज़नेस के उतार चढाव के साथ साथ इन लोगो से भी अपने बिज़नेस को बचाना है नहीं तो आप मेहनत करते रहोगे ग्रो करने के लिए और ये वो दीमक की तरह उसको खाते रहेंगे।   ये लोग खतपतवार की तरह होते है जो आपकी फसल यानि बिज़नेस को बढ़ने नहीं देंगे और आपसे लाभ खाने की कोशिश करेंगे और आपको बढ़ने नहीं देंगे  इसीलिए आपको अपने बिज़नेस को इन सबसे बचाना होगा।  आप कैसे अपने बिज़नेस को इन सबसे बचा सकते हो। इनसे बचने का केवल एक ही उपाय है और वो है इनको पहचानना।  अगर आप सच्चे शुभचिंतको और इन नकली लोगो के बिच फर्क करना सीख गए तो आप फिर इन लोगो से दूर रहने की कोशिश करेंगे और अपने आपको और अपने बिज़नेस को बचाने में सफल हो पाएंगे 

महंगा और सस्ते से फर्क नहीं पड़ता।

 कुछ बिज़नेस की या कुछ प्रोडक्ट्स का महत्व ही उसके ज्यादा रेट की वजह से होता है।  एप्पल की हम्मीयत इसलिए नहीं है कि वो दुनिया के सबसे अच्छे फ़ोन होते है। उनकी हम्मीयत इसलिए ज्यादा होती है क्यूंकि वो इतने महंगे होते है कि उन तक हर किसी की पहुँच नहीं होती और उसको रखना एक स्टेटस माना जाता है।  जिस दिन एप्पल ने अपने रेट कम कर दिए चाहे वो आज की तकनीक से कहीं गुना ज्यादा अच्छा प्रोडक्ट दे दे वो जहाँ आज है वहां स्टैंड नहीं करेगी। उसका अधिक प्राइस ही उसकी ताकत है।  कई व्यक्ति मुझसे पूछते है कि आपका प्रोडक्ट महंगा है या मेरा प्रोडक्ट मुझे महंगा पड़ रहा है और मार्किट में तो प्रोडक्ट बहुत ही सस्ते - सस्ते रेट पर मिल जाते है फिर हम कम्पटीशन कैसे करेंगे तो मै उनको यह ही बात समझाता हूँ कि मार्किट में हर तरह का प्रोडक्ट बिकता है। बिलकुल सस्ता भी , मध्यम स्तर का भी और बहुत अधिक रेट के भी।  मार्किट में हर चीज़ बिकती है और हर तरह का ग्राहक आपको मार्किट में मिल जायेगा। यह आप पर है कि आप अपने प्रोडक्ट को किस स्तर पर रखना चाहता हो। महंगा और सस्ते से फर्क नहीं पड़ता। फर्क पड़ता है कि आप उसको पोजीशन कैसे करते हो। 

मैंने अपना बिज़नेस सफल कैसे बनाया?

 मैंने अपना बिज़नेस सफल बनाया इसको मै कहीं तरीको से बता सकता हु। और हर बार जब भी मुझसे कोई पूछता है तो मै इसको थोड़ा अलग तरीके से बता सकता हूँ।  मेरे बिज़नेस मॉडल के लिए सबसे जरूरी है कि आपके पास ज्यादा से ज्यादा लोग आपको डिस्ट्रीब्यूटर बनने के लिए कांटेक्ट करे या आप ज्यादा से ज्यादा लोगो को कांटेक्ट करो।  बात छोटी सी होती है कि आप लोगो से कांटेक्ट कर रहे हो या लोग आपसे कांटेक्ट कर रहे है पर आपके बिज़नेस पर पड़ने वाला इसका असर बहुत गहरा होता है।  अगर आप किसी के पास जा रहे हो तो वहां टर्म एंड कंडीशंस सामने वाले पर्सन की होगी और अगर कोई आपके पास आ रहा है तो वहाँ ज्यादा मोके है कि आपकी टर्म एंड कंडीशन पर काम किया जाये।  मेरे पास पैसे नहीं थे तो मै किसी को क्रेडिट नहीं दे सकता था। और यह मेरी मुख्य टर्म एंड कंडीशन थी जिसके साथ में कोम्प्रोमाईज़ नहीं कर सकता था। इसी वजह से मैंने फैसला किया कि मै किसी भी जानकर पार्टी को एप्रोच नहीं करूंगा क्यूंकि वहां पर आप एडवांस पेमेंट नहीं ले सकते।  आपको केवल वहीं लोग चाहिए थे जिनको आपके प्रोडक्ट्स की जरूरत हो और जो खुद आपके पास चल कर आये। मतलब कि आपसे कांटेक्ट

मैंने सोशल मीडिया से बिज़नेस कैसे बनाया ?

 मै उन व्यक्तियों में से हूँ जिसने सोशल मीडिया और डिजिटल मार्केटिंग का उपयोग करके बिज़नेस बनाया , न की बिज़नेस बनाकर सोशल मीडिया का उपयोग किया।  अपने बिज़नेस में सोशल मीडिया का उपयोग करने के दो तरीके होता है।  या तो आप सोशल मीडिया का उपयोग करके बिज़नेस स्थापित कर लो।  या आप बिज़नेस स्थापित करके सोशल मीडिया का उपयोग करके अपने बिज़नेस को बढ़ा लो। दोनों ही तरीके बहुत ही असरदायक है। क्यूंकि मैंने दोनों का ही उपयोग किया है। पहले सोशल मीडिया और इंटरनेट का उपयोग करके बिज़नेस बनाया और फिर बिज़नेस को सोशल मीडिया और डिजिटल मार्केटिंग के द्वारा बढ़ाया।  मैंने ऑफलाइन बिज़नेस बनाया पर ऑनलाइन की मद्द्त से। आप कौन सा बिज़नेस बनाना चाहते है यह आप पर निर्भर करता है। और एक लक्ष्य लेकर आगे बढ़ सकते है।  मैंने ऑनलाइन का उपयोग क्यों किया ? इसका साधरण सा उत्तर है और वह है कि मेरे पास पैसा नहीं था।  अगर आपके पास भी बिज़नेस शुरू करने के लिए पूंजी नहीं है तो आप को भी डिजिटल मार्केटिंग के बारे में पढ़ना चाहिए और सोशल मीडिया का उपयोग बिज़नेस के लिए करने के बारे में सीखना चाहिए न कि केवल ब्राउज़िंग करने के लिए। दोस्तों और परिवार

क्यों लोग पहले नुकसान में ही बिज़नेस छोड़ देते है ?

बहुत से लोग पहले सेट बैक में ही बिज़नेस या अपने स्टार्टअप को छोड़ने की बात करने लग जाते है।  उनको लगता है कि यह बिज़नेस उस तरह का नहीं है जिस तरह का उनको चाहिए।  पर वह भूल जाते है कि सेट-बैक और असफलता इस रास्ते में हमेशा साथ-साथ चलेगी। आप उनको नहीं बदल सकते। डिमांड और रिसेशन का दौर तो चलता ही रहेगा।  कभी तेजी रहेगी और कभी मंदी। पर दिक्क्त ये है कि लाभ तो सभी को चाहिए पर जब हानि की बात आती है तो उनको लगता है कि उसको कोई और सहे। अगर लाभ के समय आप हो तो नुकसान के समय में भी आपको ही रहना पड़ेगा।  लेकिन लोग नुकसान के समय भागने लगते है। जब तक लाभ आ रहा था बिज़नेस करना उनके लिए दुनिया का सबसे मजेदार काम था और जैसे ही नुकसान होना शुरू हुआ। उनको लगना शुरू हुआ कि शायद यह उतना मजेदार भी नहीं है और उनको इसको छोड़ देना चाहिए।  मैंने बहुत लोगो को पहले सेट बैक में ही बिज़नेस को बंद करते हुए देखा है और वो भी कभी दोबारा न इस रास्ते पर आने के लिए।  पर सेट बैक तो अस्थाई होते है। वो बहुत थोड़े समय के लिए ही रहते है और बिज़नेस फिर सामान्य रूप से चलने लगता है।  यहाँ पर धैर्य काम करता है पर वो मुझे लगता है बहुत ही कम

मेरा बिज़नेस सफर और मेरा बिज़नेस मॉडल !

मेरा बिज़नेस मॉडल बिलकुल साधारण है।  मै मार्केटिंग कम डिस्ट्रीब्यूशन मॉडल पर काम करता हूँ। मार्केटिंग कम डिस्ट्रीब्यूशन मॉडल को फार्मा में फ्रैंचाइज़ी नाम से भी जाना जाता है। इस मॉडल में काम करने का तरीका यह होता है कि आप एक कंपनी हो जो पुरे भारत में डिस्ट्रीब्यूटर्स ढूंढ रही है। हम प्रोडक्ट्स में डिस्ट्रीब्यूटर्स को ज्यादा मार्जिन देने की कोशिश करते है ताकि वो सेल्स के खर्चे आसानी से निकाल सके।  इस मॉडल की ज्यादातर कंपनियां ऑनलाइन या ऑफलाइन दोनों तरीको से डिस्ट्रीब्यूटर्स ढूंढ़ने की कोशिश करते है। पर मेरे काम करने का तरीका थोड़ा अलग है। मैंने अपनी जॉब के अंतिम कुछ वर्षो में और अपने स्टार्टअप में बहुत ही कम सेल्स कॉल की है। मेरे काम करने का तरीका है - ज्यादा से ज्यादा से लोगो तक खुद को पहुंचना और ज्यादा से ज्यादा लीड बिज़नेस के लिए प्राप्त करना ताकि हमारी सेल्स टीम का समय बच जाये और उनको केवल उनसे ही बात करनी पड़े जो पहले से ही हमारे साथ बिज़नेस करने में इंटरेस्टेड हो। और यह मेरे लिए बहुत सफल रहा।  और मुझे कभी भी नए क्लाइंट ढूंढ़ने में कोई दिक्क्त नहीं हुए। हर महीने ठीक ठाक नए क्लाइंट हम जोड़ ल

मैंने अपना बिज़नेस मॉडल कैसे बनाया?

बहुत दर्शक और पाठक मुझसे पूछते है कि अपने अपना बिज़नेस मॉडल कैसे बनाया।  मै जिस बिज़नेस मॉडल पर काम करता हूँ वो कोई यूनिक या नया नहीं है। मेरे अनुमान के हिसाब से इंडिया में फार्मास्यूटिकल कंपनियां उसको 1990 से कर रही है। हो सकता है पहले से या बाद में शुरू किया हो पर मेरे अनुमान के हिसाब से यह तब से ही हो रहा है।  अपना बिज़नेस शुरू करने से पहले मुझे इस मॉडल में करीबन 7 से 8 साल का अनुभव रहा है। मै जिस फार्मा कंपनी के लिए काम किया करता था वो इसी मॉडल पर काम करती थी। इस मॉडल को हम फार्मा फ्रैंचाइज़ी और pcd मॉडल कहते है।  फार्मा फ्रैंचाइज़ी किस तरह काम करती है उसके बारे में मै आर्टिकल लिख चूका हूँ उसका लिंक :  https://blog.pharmafranchisehelp.org/2020/08/pharma-franchise-model-benefits-profitability-ratio-profit-margin.html इस मॉडल की शुरुआत होने का कारण था कि छोटी कंपनियां बड़ी कंपनियों से प्रतिस्पर्धा नहीं कर सकती थी क्यूंकि उनके पास सेल्स टीम रखने का पैसा नहीं होता था। एक सेल्स टीम को मैनेज करने के लिए बहुत पूंजी चाहिए और फिर भी कोई गारंटी नहीं होती की आप सेल कर पाओ।  दूसरी तरफ बड़ी कंपनियों क

डर हमेशा बुरा नहीं होता है।

 जरूरी नहीं है कि डर हमेशा बुरा ही होता है।  डर दोनों तरह का होता है। यह अच्छा भी हो सकता है और बुरा भी ! अगर डर आपको कुछ नया या उपयोगी करने से रोकता है तो डर बुरा होता है और अगर अपने कुछ शुरू कर दिया है और डर आपको इसमें लगे रहने के लिए प्रेरित करता रहता है कि अगर हमने मेहनत नहीं की तो हम असफल हो जायेंगे तो डर अच्छा होता है।  जॉब के बाद अपने बिज़नेस में मेरा मेहनत करने का सबसे महत्वपूर्ण कारण यह भी था कि मुझे डर था कि अगर मै मेहनत नहीं करूंगा तो मै असफल हो जाऊंगा और दोबारा जॉब में ही जाना पड़ेगा।  मेरे पास यह आखिरी मौका था जिसे मै खोना नहीं चाहता था। वहां मेरे डर ने मुझे खेल में बनाये रखा और मुझे लड़ते रहने के लिए प्रेरित किया।  मेरे कहने का तात्पर्य यह कि डर हमेशा बुरा नहीं होता। बस डर को सही तरह उपयोग किया जाना जरूरी है। 

कैसे एक नॉन फार्मा पर्सन होलसेल फार्मा बिज़नेस शुरू कर सकता है ?

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कैसे एक नॉन फार्मा पर्सन होलसेल ड्रग लाइसेंस ले सकता है ? होलसेल ड्रग लाइसेंस  में रिटेल ड्रग लाइसेंस के लिए केवल फार्मासिस्ट का होना ही जरूरी नहीं है।  अगर आपको रिटेल ड्रग लाइसेंस लेना है तो आप बिना फार्मासिस्ट के रिटेल ड्रग लाइसेंस नहीं ले सकते। पर जब होलसेल ड्रग लाइसेंस की बात आती है तो उसमे फार्मासिस्ट के अल्वा भी सम्भावने होती है कि आपको बिना फार्मासिस्ट के भी होलसेल ड्रग लाइसेंस मिल जाये।  होलसेल ड्रग लाइसेंस के लिए कौन कौन एलिजिबल होता है - राज्य फार्मेसी परिषद के तहत पंजीकृत फार्मासिस्ट हो या सक्षम व्यक्ति/अनुभवी व्यक्ति को स्नातक के बाद पंजीकृत थोक दवा लाइसेंस प्राप्त फर्म में न्यूनतम एक वर्ष का अनुभव (बैंक वेतन विवरण, नियुक्ति पत्र, अनुभवी पत्र और त्याग पत्र के साथ) तो अगर आप होलसेल ड्रग लाइसेंस लेना चाहते है और आप फार्मासिस्ट भी नहीं है तो अगर आप ग्रेजुएट हो और आपको किसी होलसेल ड्रग लाइसेंस वाली फर्म पर कम से कम एक साल का अनुभव है तो भी आप होलसेल ड्रग लाइसेंस के लिए अप्लाई करने के एलिजिबल हो जाते है पर यहाँ ड्रग इंस्पेक्टर पर भी निर्भर करता है कि वे आपको एलिजिबल मानता है क

सफलता का पता आसान होता है !

 चीज़े आसान होती है। रास्ते भी सामने होते है।  पर हम उन्हें बहुत ही ज्यादा जटिल बना देते है। हमे लगता है कि कोई भी चीज़ आसान नहीं होती।  सफलता का पता भी आसान ही होता है। आपको चीज़ो को बार बार सही दिशा में करना है। बस ! केवल यह ही सफलता की कुंजी है। पर इंसान में एक प्रवृति होती है और वो है कि वो एक चीज़ को बार बार नहीं करता , वो ऊब (bore) जाता है। उसमे ज्यादा धैर्य नहीं होता इंतज़ार करने का की कब चीज़े अपना परिणाम दिखाना शुरू करे। उन्हें तुरंत ही परिणाम चाहिए और हार का असर तुरंत दिख जाता है और सफलता का असर दिखने में समय लगता है।  जबकि कोई मुझसे पूछता है कि बिज़नेस में कैसे सफल होते है तो मै कहता हूँ कि - प्रोडक्ट/सर्विस बनाओ। उसको लेकर लोगो तक जाओ। उसके बारे में जागरूकता फैलाओ और इस चीज़ को बार बार करो जब तक कि आपके प्रोडक्ट/सर्विस को लोग उपयोग न करने लगे।  चीज़े बिलकुल आसान होती है। पर हर आसान चीज़ को करना जरूरी नहीं आसान होता है।  आपको स्वस्थ रहना है तो आसान सा फार्मूला है - रोज एक्सरसाइज करो , हैल्थी खाना कहो और तनाव मुक्त रहो। यह केवल इतना आसान है।  अगर यह आसान है तो इसका मतलब यह नहीं कि इसको

क्या कोई ऐसा बिज़नेस आईडिया है जो बिज़नेस मार्किट में मोनोपोली बन जाये।

क्या कोई ऐसा बिज़नेस आईडिया है जो बिज़नेस मार्किट में मोनोपोली बन जाये।   बिज़नेस में एकाधिकार यानि मोनोपोली स्थापित की जा सकती है।  जहाँ तक मेरा मानना है हाँ ! पर ऐसा कोई बिज़नेस आईडिया नहीं होता जो यह निश्चित करता है आपका बिज़नेस मार्किट में मोनोपोली स्थापित करेगा। यह तो आपको बिज़नेस को स्थापित करने के सभी चरणों को पूरा कर उसके बाद अपने बिज़नेस मॉडल और अपनी प्रोडक्ट/सर्विस को इस तरह से मार्किट में फैलाया जाये कि लोगो के मन में आपका ही नाम बैठ जाये और जब भी उस प्रोडक्ट/सर्विस की बात आये तो आपका नाम ही मन में आये।  प्रोडक्ट/सर्विस = आपका बिज़नेस नाम  बहुत क्षेत्र ऐसे है जिनमे एक ही कंपनी ने अपनी मोनोपोली बना ली है। जैसे सर्च इंजन मार्किट में गूगल की एक तरह से मोनोपोली स्थापित हो गयी है। ऐसा नहीं था कि गूगल पहला या एक मात्र सर्च इंजन है।  बहुत सारे सर्च इंजन है पर जब भी गूगल पर कुछ सर्च करने की बात आती है तो सबके दिमाग में गूगल का ही नाम आता है।  भारत में स्वदेशी मूवमेंट काफी लोकप्रिय रहा था। पर कुछ समय बाद पतंजलि ही स्वदेशी का पर्याय बन गया और एक तरह से स्वदेशी ब्रांड में उसकी मोनपोली हो गयी। 

पैसा कमाने की संभावना पैसे के लिए काम करने में है या उसके जाल से मुक्त होने में?

 हमे बचपन से एक ही बात कही जाती है कि पढ़ाई करो, अच्छे नंबर लाओ, , अच्छी नौकरी करो और पैसे कमाओ।  इस पूरी लाइन में सबकुछ जच जाता है बस एक छोटी सी गलती हो जाती है। पढ़ाई करना और अच्छे नंबर लाना अच्छी बात है। अच्छी नौकरी भी मिल जाना अच्छी बात है। क्यूंकि मै भी सभी लोगो को पहले नौकरी करने की ही सलाह देता हूँ।  फिर दिक़्क़त क्या है ? दिक़्क़त है सबसे आखिर वाले शब्द - पैसे कमाओ।  यह बात हमारे दिलो-दिमाग में ऐसे बैठ जाती है कि हमे लगता है सब कुछ हम पैसे कमाने के लिए ही कर रहे है। तो अगर अच्छी सैलरी वाली नौकरी नहीं मिली तो हम खुद को असफल मानने लगते है।  यही कारण है कि हमे जॉब पसंद हो या नहीं बस हम उसे चुन लेते है क्यूंकि वो हमे अच्छी सैलरी दे रही है। मै अपने अनुभव से कह सकता हूँ कि यह आपकी जिंदगी की सबसे बड़ी गलती में से एक हो सकती है। आपके पास पैसे की कमी नहीं होगी , हो सकता है आप उस व्यक्ति से ज्यादा सफल लगो जो कम सैलरी होने के बावजूद अपनी मनपसंद जॉब कर रहा है पर मानसिक तौर पर वह आपसे ज्यादा सफल होगा।  उनका अपने क्षेत्र में एक्सपर्ट बनना ज्यादा आसान है क्यूंकि उनको उस काम से प्यार है जो वो करते है

जॉब करनी चाहिए या बिज़नेस

 जब भी कोई मुझसे पूछता है कि जॉब करनी चाहिए या बिज़नेस।  मै कॉलेज पास आउट को पहले कुछ साल जॉब करने की सलाह देता हूँ ताकि वो वह सीख सके जो उनको उनके बिज़नेस में सहायता करे।  कोई अनुभव वाला व्यक्ति जब भी मुझसे यह सवाल पूछता है तो मेरा जवाब यही होता है कि आपको अब बिज़नेस शुरू करना चाहिए।  क्यों ? क्यूंकि बिज़नेस आपको एक अलग इंसान बनाता है। जो आप पहले कभी नहीं थे और कभी बन नहीं सकते अगर आप बिज़नेस शुरू नहीं करते। बिज़नेस में आपको बहुत कुछ सीखने को मिलता है जिसका कोई मोल नहीं होता। यह आपकी व्यवसायिक जिंदगी के अलावा आपकी व्यक्तिगत जिंदगी पर भी प्रभाव डालता है।  हो सकता है कि बिज़नेस के शुरूआती दौर में आपको दिन रात मेहनत करनी पड़े। आपको हो सकता है कि बहुत कुछ त्यागना पड़े पर एक समय के बाद आपको लगेगा कि आपको आपकी मेहनत और त्याग का फल मिलना शुरू हो गया है।  और अगर आप समझदारी से अपने व्यवसाय को चलाते हो तो आपके पास आपके किसी भी और सहपाठी से ज्यादा समय होगा अपने लिए, अपने परिवार के लिए , जो आप करना चाहते है उसके लिए।  इसी वजह से मै ज्यादातर लोगो को यह ही राय देता हूँ कि अगर आपने अपने क्षेत्र का अच्छा अनुभ

सफलता को रोके रखना भी बहुत जरूरी है !

 मैंने अपनी जिंदगी में बहुत से लोगो को देखा है जो सफलता मिलने के बाद एक ही जगह थम गए। उनकी जिंदगी शायद वहीँ रुक गयी और आगे बढ़ने की ललक खत्म हो गयी। सफलता और पैसा जब आता है और आप आगे बढ़ने की इच्छा छोड़ देते हो तो वह आपको गलत कार्यो की तरफ ही ले जाता है। हममे से बहुत से लोग है जो अपनी सपनो की जॉब, करियर, बिज़नेस या तररकी पा कर बिलकुल सन्तुष्ट हो जाते है। उनका लगता है कि इसके बाद उनके लिए कुछ भी हासिल करना बाकि नहीं रहा गया है।  और हम केवल दुनिया में समय के निकालते रहते है। जब तक कि कुछ ऐसा न हो जो हमे एक दम से इस आरामदायक स्थिति से बाहर निकाले या हम किसी ऐसी गलत आदत में न फंस जाये जो हमे बर्बादी की तरफ ले जाये।  हम सफलता पाने के लिए बहुत संघर्ष करते है। मैंने दोनों ही तरह के लोगो को देखा है।  उनको भी जो संघर्ष कर रहे है और उनको भी जो सफलता के बाद कॉम्पोर्ट जोन यानि आरामदायक स्थिति में पहुँच गए है।  मैंने अपने बिज़नेस को स्थापित करने में काफी संघर्ष किया है। अब मै किताबे पढ़ना पसंद करने लगा हूँ। इसी वजह से मै कुछ कामो को अपने सहकर्मियों पर टाल देता हूँ ताकि मुझे ज्यादा खाली समय मिले।  पर कभी

क्यों बहुत अच्छे बिज़नेस आईडिया जन्म लेने से पहले ही मर जाते है ?

 हर किसी  बिज़नेस शुरू करने के कुछ अच्छे आईडिया होते है पर फिर भी वो उनको नहीं करते।  क्यों ? इस बात का जवाब शायद किसी के पास नहीं होगा। उसके पास भी नहीं जिसके दिमाग में यह आईडिया आया है।  मुझे लगता है कि जब भी हमारे दिमाग में कोई आईडिया आता है तो उसको न करने के कुछ कारण होते है।  1. क्या पता मेरा आईडिया सफल भी होगा या नहीं ? अगर सफल नहीं हुआ तो मेरा समय बर्बाद हो जायेगा। पर सच्चाई यह है कि अगर वह सफल भी नहीं हुआ तो भी वह आपको कुछ सीखा कर ही जायेगा और भविष्य में रास्ते खोल देगा। एक सफल व्यवसायी एक सफल बिज़नेस शुरू करने से पहले कई बार बिज़नेस में असफल होता है।   2. बाद में कर लेंगे अभी तो हमारी उम्र ही क्या है। और वो उम्र कभी नहीं आती जब हम शुरू करते है। तो जितना जल्दी हो सके शुरू करिये। जितनी जल्दी शुरू करेंगे उतने ही ज्यादा मौके होंगे आपके पास सफल होने के।  कम उम्र में शुरुआत करने का सबसे अच्छा लाभ यह होता है कि आपके पास ज्यादा जिम्मेवारियाँ नहीं होती और असफल होने के बाद आप आसानी से दूसरी शुरुआत कर सकते है।  3. उन्हें लगता है कि यह तो छोटा बिज़नेस आईडिया है या उनके पास केवल एक छोटा बिज़नेस

बिज़नेस के नियम कभी नहीं बदलते !

 बिज़नेस के नियम हमेशा समान रहते है पर बिज़नेस के तरीके बदलते रहते है।  बहुत बार लोग प्रश्न करते है समय के साथ नियम कैसे समान रह सकते है जब बिज़नेस के तरीके बदल गए। पुराने नियमो से तो बिज़नेस पुराने तरीके से ही हो सकता है।  नियमो से मेरा मतलब बिज़नेस के प्रकारो या आप उसे किस तरह करते है उससे नहीं है। नियमो से मेरा मतलब है कि बिज़नेस किस तरह काम करता है।  पहले आवा गमन (transportation) का साधन घोड़ा गाड़ी थे और अब बस, रेल, जहाज इत्यादि है। यहाँ बिज़नेस करने का तरीका बदल गया पर क्या अपने गौर किया की बिज़नेस दोनों ही तरीको में एक ही तरह काम कर रहा है।  घोड़ा गाड़ी में भी आपको आने जाने के लिए पैसे देने पड़ते थे और आधुनिक संसाधनों में भी। तब भी प्रतियोगिता थी और आज भी है। तब भी यह मायने रखता था कि कौन कैसी सेवाएं दे रहा है और आज भी।  सबसे पहले ढोल नगाड़ो से सभी तक खबर पहुंचाई जाती थी। फिर अख़बार सुचना के साधन बने। फिर न्यूज़ चैनल आये। फिर ट्विटर या दूसरे साधन आये।  ढोल नगाड़ो वालो को खबर देने वाला पैसे देता था न की सुनने वाले। अख़बार को खरीदने वाले अख़बार के लिए पैसे जरूर देते है पर उनकी मुख्य आय का साधन प्रचा

बिज़नेस सही मायने में कब शुरू माना जाता है ?

बिज़नेस का एक नियम यह है कि अगर बिज़नेस चक्र (business transaction) अगर पूरी नहीं होती है तो उस चक्र से जुड़े सभी बिज़नेस या व्यक्तियों को हानि ही होती है।  इसी लिए बिज़नेस में यह सुनिश्चित कर लेना जरूरी है कि आपका बिज़नेस चक्र पूरा हो , नहीं तो उससे जुड़े हर बिज़नेस या व्यक्ति को लाभ की बजाय नुकसान ही होगा। हो सकता है कि चक्र का शुरूआती बिज़नेस या व्यक्ति नुकसान से बच जाये पर उसके भविष्य के बिज़नेस पर इसका सीधा असर होगा।  इसीलिए मै एक बिज़नेस प्रणाली (system) बनाने पर जोर देता हूँ । बिज़नेस सिस्टम यह सुनिश्चित करता है कि बिज़नेस चक्र पूरा घूमे और इससे जुड़े हर बिज़नेस या व्यक्ति को लाभ मिले।  बिज़नेस चक्र क्या होता है ? मान लो आपको एक प्रोडक्ट बेचना है। प्रोडक्ट का नाम ABC है। आप उसके मैन्युफैक्चरर हो। अपने रॉ मटेरियल खरीदा और उसको बना दिया। अपने अपने डिस्ट्रीब्यूटर को दिया और डिस्ट्रीब्यूटर ने रिटेलर को दिया।  जब तक रिटेलर उस प्रोडक्ट को उपभोक्ता को वह प्रोडक्ट नहीं बेच देता। उसके पास उपभोक्ता से उसको भुगतान नहीं मिल जाता और वह डिस्ट्रीब्यूटर को नहीं दे देता, डिस्ट्रीब्यूटर मैन्युफैक्चरर को और मैन्य

खाली समय का सदुपयोग

 जब भी मै बात करता हूँ कि आपको अपने खाली समय का सदुपयोग करना चाहिए। तो ज्यादातर लोगो की समस्या  कि उनके पास खाली समय ही नहीं होता।  उनको केवल दिन में एक से दो घंटे अपने लिए कुछ नया सिखने या कुछ ऐसा करने में गुजारना होगा जिसे आपका दिल से पसंद करते है। जो आपके भविष्य को नयी दिशा दे। जो आपके आर्थिक, समाजिक और मानसिक खुशयाली के लिए जरूरी है।  अगर आप आर्थिक रूप से ज्यादा सशक्त होना चाहते है और जॉब की निर्भरता से छुटकारा पाना चाहते है तो आपको अपने खाली समय का सदुपयोग करना सीखना होगा।  बात आती है कि खाली समय है ही कहाँ ? क्या सही में आपके पास समय नहीं बचता। या आप खाली समय को व्यर्थ की चीज़ो पर पर खर्च करते है।  एक औसत व्यक्ति दिन में दो से तीन घंटे सोशल मीडिया पर अपना समय गुजारता, केवल उसको देखते हुए। लेकिन अगर आप उसका बिज़नेस उपयोग भी केवल दिन में एक से दो घंटे करना शुरू कर दो तो आपकी जिंदगी में बहुत अंतर् आ सकता है।  ऐसा नहीं है कि हमारे पास समय नहीं है। समय हम सबके पास है पर हम उसे गलत जगह उपयोग कर रहे है।  परिवार के साथ समय गुजरना समय का सदुपयोग होता है पर सोशल मीडिया पर समय बिताना समय का द

क्या जॉब आदते बिज़नेस करते वक़्त बदल जाती है ?

मै बहुत व्यक्तियों को देखता हूँ जो पाना काम सही तरह से और पूरी निष्ठा से नहीं करते। और वो उम्मीद करते है कि उनको वह मिले जो उनको मिल रहा है जो अपना काम पूरी लगन से और निष्ठा से कर रहे है। उनमे से बहुत व्यक्ति अपना बिज़नेस शुरू करना चाहते है और जब मै उनसे पूछता हूँ कि क्या उन्होंने अपनी जॉब पूरी लगन और निष्ठा से की तो ज्यादातर लोग हाँ में ही उत्तर देते है पर असल में उनको लगता है कि वो अपने काम में ही अपना 100% देंगे, जॉब तो वो टाइम पास के लिए कर रहे है तो उन्हें अपना 100 % देने के जरूरत नहीं है।  लेकिन उनको आदत की आदत का नहीं पता होता। वो अपनी जॉब में चाहे उसको वह 6 महीने करे, एक साल करे या कितने भी समय करे। जिस तरह वह वहां काम करते है उसी तरह की उनकी आदते बन जाती है।  अगर उनको कामचोरी की आदत पड़ जाती है तो वह अपने बिज़नेस में भी कामचोरी ही करेंगे। अगर वो अपनी जॉब पूरी लगन और निष्ठा से कर रहे है तो अपना बिज़नेस भी पूरी लगन और निष्ठा से ही करेंगे।  आदते हमेशा हमारे साथ चलती है और इससे पीछा छुटवाना इतना आसान नहीं होता।  तो अगर आप अपनी जॉब या जो भी जिम्मेवारी आपको मिली है उसको पूरी निष्ठा और ल

क्या सबसे अच्छा प्रोडक्ट होना, सफलता की गारंटी है?

 क्या सबसे अच्छा प्रोडक्ट होना या वो प्रोडक्ट बनाना जो अभी तक किसी के पास नहीं है , सफलता की गारंटी है।  ज्यादातर लोग यही सोचते है और वो इन्ही चीज़ो में अपना समय ख़राब कर देते है। इसमें हमारी कोई गलती नहीं है कि हमे लगता है सफलता की यही गारंटी है। यह इस लिए भी है क्यूंकि हमे इसी तरह से बताया गया है कि अगर आप कुछ अलग लाते हो तो उसमे कामयाब होना तय है।  पर ऐसा नहीं है ! बिज़नेस में सफल होने के लिए सबसे अच्छे प्रोडक्ट/सर्विस की नहीं, एक प्रणाली (system) की जरूरत होती है। आपके प्रोडक्ट की क्वालिटी जरूरी है पर वह ही सबकुछ नहीं होती।  अगर आप बहुत सारे बिज़नेस का अध्ययन करोगे तो पाओगे कि क्या वह सबसे अच्छा प्रोडक्ट बेचते है। उनसे अच्छा प्रोडक्ट किसी का नहीं आता।  इसे उदाहरण से समझने की कोशिश करते है। क्या सबसे अच्छा बर्गर केवल मक्डॉनल्ड ही बनाता है। क्या आपके चौक पर खड़ा रेहड़ी वाला उससे अच्छा बर्गर नहीं बनाता या आपके शहर में बहुत सारे ऐसे बर्गर वाले होंगे जो मक्डॉनल्ड से बहुत अच्छा बर्गर बनाते होंगे। पर फिर भी मक्डॉनल्ड दुनिया में अरबो बर्गर दिन में बेचता है।  कैसे ? क्यूंकि उसने वह प्रणाली (syste

क्या बिना आग्रह बेचा जा सकता है ?

बिना अपनी वस्तु या सेवा  खरीदने का आग्रह किये बिना किसी को अपनी वस्तु या सेवा बेचना मुझे  लगता है कि सुचना युग (informational era) की सबसे बड़ी देन में से एक है।   हो सकता है कि लोग पहले भी ऐसा करते हो पर अब यह बड़ा ही सरल हो गया है। औद्योगिक युग में चीज़ो को बेचने के लिए आग्रह करना या विज्ञापन करना एक बहुत ही बढ़िया विकल्प था पर सेल्स के दबाव ने इसे बहुत ही ज्यादा बढ़ा दिया जिससे ग्राहक इससे कटने लगे।  आज के दौर में भी यह एक बहुत अच्छा साधन है अपनी वस्तु या सेवा बेचने का। पर इस कार्य में बहुत समय और पैसो की जरूरत होती है। और हम सबको पता है कि हममे से ज्यादातर लोगो के पास बिज़नेस शुरू करने के लिए ही पूंजी नहीं है , विज्ञापन के लिए कैसे लगाएंगे।  सुचना युग ने यह आसान कर दिया है।  आपको जो कोई भी सुचना चाहिए , वह आपको आसानी से मिल सकती है। और अगर आगे बढ़ कर जो सुचना आपके पास है उसको आप लोगो तक पहुंचाते हो तो यह एक अच्छा बिज़नेस आईडिया भी  है।  अब आपको कुछ भी बेचना हो तो आपको किसी से आग्रह करने की जरूरत नहीं पड़ती। आप उनकी मद्द्त करते हो या उनको वो सुचना प्रदान करते हो जो उनको चाहिए तो उनमे से जिसक

क्या केवल स्मार्ट वर्क से कामयाब हुआ जा सकता है ?

अक्सर लोग हार्ड वर्क और स्मार्ट वर्क की गलत परिभाषा निकाल लेते है।  उनको लगता है कि अगर वह स्मार्ट वर्क करेंगे तो उनको मेहनत करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। वह बिना किसी मेहनत के ही अपनी नौकरी, व्यवसाय या निवेश सफल हो सकते है।  पर असल में ऐसा नहीं होता है।  जब भी स्मार्ट वर्क की बात आती है तो लोग समझ ही नहीं पाते कि यह कैसे काम करता है।  मै अपने डिस्ट्रीब्यूटर्स को ऑनलाइन ढूंढ़ता हूँ। मै कभी भी अपने ऑफिस से यानि अपने शहर से बाहर अपने डिस्ट्रीब्यूटर्स बनाने नहीं गया और अब भी नहीं जाता हूँ। मैंने अपने लिए ऑनलाइन तरीको का उपयोग करना शुरू किया और मै अब भी बिना कहीं जाये डिस्ट्रीब्यूटर्स बना लेता हूँ।  लोग इसको स्मार्ट वर्क कहते है।  पर क्या यह केवल स्मार्ट वर्क है ? हम इसको कुछ हद तक स्मार्ट वर्क कह सकते है पर यह इतना आसान नहीं था।  यह सेट-उप करने के लिए मुझे कहीं साल का समय लगा। मैं जब जॉब के बाद खुद के बिज़नेस में आया तो मैंने दिन में 14-14 घंटे काम किया। सुबह 7 बजे में ऑफिस आ जाया करता था। मेरे पास काम नहीं था, डिस्ट्रीब्यूटर्स नहीं थे। पर मै काम करता था क्या किसी को नहीं पता था। जो जानते थे वो

क्या बिज़नेस शुरू करने के लिए पैसे चाहिए ?

 हममे से ज्यादतर लोगो को लगता है कि बिज़नेस शुरू करने के लिए पैसे चाहिए।  अगर यह सत्य है तो दुनिया के बहुत बड़े बड़े उद्योगपति अपने शुरूआती दौर में बहुत गरीब थे। उनके पास बिलकुल भी पैसे नहीं थे। कई लोगो ने तो सड़को पर राते गुजारी है केवल इसी लिए की उनके पास किराये के लिए पैसे नहीं थे।  पर फिर कैसे आज उनके पास इतना धन हो गया? पहली नजर में यह किस्मत का खेल लगता है। जो इस पूरी प्रक्रिया को नहीं समझते उन्हें लगता है कि उनकी किस्मत अच्छी थी जिसकी वजह से वह अमीर बन गए।  पर अगर आप प्रकृति के काम करने को समझ लोगे तो आपको यह समझते देर नहीं लगेगी कि वो क्यों सफल हुए।  उनका सफल होना उनके संघर्ष में छुपा हुआ है। उनके मजबूत इरादे में छुपा हुआ है। किसी भी परिस्तिथि में हार न मानने में छुपा हुआ है।  यह खेल किस्मत का नहीं है। भले ही यह किस्मत का खेल लगता हो पर सच्चाई इससे कोशो दूर है।  उनकी किस्मत में गरीब रहना लिखा था क्यूंकि वो गरीब ही पैदा हुए थे। पर उन्होंने किस्मत को अपने आगे झुकने पर मजबूर किया है , न की किस्मत ने उनको वरदान दिया है।  बिज़नेस में सफल होने के लिए आपको कुछ बेचना पड़ता है। और आप वह बेच स

क्या कोई आसान रास्ता है ?

 मै अक्सर सोचता हूँ कि क्या भी कोई आसान रास्ता होता है ? मुझे लगता है कि कोई भी रास्ता आसान नहीं होता और कोई भी रास्ता मुश्किल नहीं होता। किसी भी रास्ते का मुश्किल होना या आसान होना इस बात पर निर्भर करता है कि हमे उसके बारे में कितना ज्ञान है।  शुरू शुरु में जब भी मुझे कोई बड़ा आर्डर मिल जाता था तो मै बहुत रोमांचित हो जाता था। मेरे कदम आसमान में होते थे तथा मन चाँद पर। फिर अचानक में धरती पर गिरता था। मेरी उड़ने की ऊंचाई जितनी ज्यादा होती थी उतनी ही ज्यादा गिरने पर दर्द होता था।  फिर मैंने खुद को संतुलित करना सीखना शुरू किया। अब मुझे लगता है कि कोई भी काम बिल्कुल वैसे नहीं हो सकता जैसे हम सोचते है। काम के होने में परेशानिया तो आएगी ही। बस उसके लिए मै मानसिक रूप से अपने आप को तैयार रखने की कोशिश करता हूँ।  पर अपने आप को तैयार करने के बावजूद हार को सहना बड़ा दुःख दायी होता है।  अभी हाल में मिले बड़े आर्डर में मै यही सोच रहा हूँ कि यह नुकसान का सौदा साबित न हो भले। अगर नुकसान का प्रतिशत रहे भी तो बहुत ही कम क्यूंकि यहाँ पर मेरा लाभ का प्रतिशत बहुत ही कम है और इस डील को नुकसान की बजाय नो प्रॉफि

क्यों लोग आपसे नहीं खरीदते ?

कोई व्यक्ति मुझसे प्रोडक्ट या सर्विस क्यों नहीं खरीदना पसंद करेगा।  बेचना दुनिया का सबसे पुराना और सबसे सफल कामो में से एक है। अगर कोई व्यक्ति बेचने में महारत रखता है तो वह दुनिया में कुछ भी हासिल कर सकता है। यहाँ पर हम कुछ ऐसे कारणों के बारे में जानेंगे जिन कारणों से लोग हमारे प्रोडक्ट/सर्विस को खरीदना नहीं चाहते।  अगर हम इनको समझ ले तो बेचना बहुत हद तक आसान हो जायेगा और हम अपने ग्राहक की मानसिकता को समझ सकते है और उसी तरह उसके साथ व्यवहार कर सकते है।  कुछ कारण है : या तो हो सकता है उसको उसकी जरूरत ही न हो। अगर किसी व्यक्ति को किसी चीज़ की जरूरत ही नहीं है तो आप कितना भी फॉलो-उप कर लो , कोशिश कर लो वह आपसे नहीं खरीदेगा। क्युकी वह उसके काम की नहीं है।  अगर कोई व्यक्ति मेरे जैसे प्रोडक्ट या सर्विस का उपयोग करता है तो वह मुझसे क्यों नहीं खरीदेगा।  उसका मेरे प्रोडक्ट/सर्विस पर विश्वास नहीं है या मुझ पर विश्वास नहीं है। वह अपने पैसे ख़राब नहीं करना चाहता। अगर आपका प्रोडक्ट/सर्विस उसको कोई लाभ नहीं पंहुचा पाए तो वह मुर्ख साबित हो जायेगा और उससे वह बचना चाहता है।  मेरी ब्रांडिंग कम है और वह मे

बिज़नेस शुरू करने का सबसे आसान तरीका

 आज  के समय में बिज़नेस शुरू करना मुझे लगता है काफी आसान है पर फिर भी ज्यादातर लोग इसे  क्यों नहीं कर पाते ? मेरे हिसाब से बिज़नेस न शुरू कर पाना किसी भी काबलियत या उसके अनुभव से ज्यादा आज के समय में इस बात पर निर्भर करता है कि आप सामने वाले व्यक्ति का लाभ चाहते हो या नहीं।  आज बिज़नेस केवल अपना लाभ कमाने का साधन नहीं रह गया है। आप सामने वाले व्यक्ति को क्या लाभ दे सकते हो , यह अब इस बात पर रह गया है।  ज्यादातर लोग दुसरो को कोई लाभ देना ही चाहते। वो चाहते है कि सामने वाला व्यक्ति उनके हिसाब से काम करे और उसे लाभ भी बहुत ही कम मिले। लाभ का प्रतिशत भी वो खुद ही निकलना चाहते है और चाहते है कि सब कुछ उनको ही मिल जाये।  कभी कभी यह प्रत्यक्ष रूप से होता है और कभी कभी यह अप्रत्यक्ष रूप से करने की कोशिश की जाती है  और ज्यादा स्मार्ट बनने की कोशिश में कुछ भी हासिल नहीं होता।  इसकी तुलना में अगर आज के दौर में आप बिज़नेस शुरू करना चाहते है और आप पहले लोगो को लाभ पहुंचाते हो तथा उसके बाद आप मंथन करते हो कि अब इसे लाभ में कैसे बदला जाये तो आप बड़ी आसानी से अपना बिज़नेस शुरू कर सकते हो।  पर यहाँ पर शर्त य

विश्वास बिज़नेस में सबसे महत्व पूर्ण है !

 मै अपने कई वीडियो में विश्वास (trust) के बारे में बात कर चूका हूँ कि वो बिज़नेस में हमारे लिए क्यों जरूरी है।  इसी से जुड़ा एक हाल का ही वाक्य सुनाता हूँ। मेरी एक पार्टी को एक प्रोडक्ट बनवाना था। उसका आर्डर बहुत बड़ा था। कई मनुफक्चरर्स से उसकी बात चल रही थी।  बड़े आर्डर में बहुत कम रेट का अंतर् भी बहुत बड़ा सिद्ध होता है। अगर किसी मैन्युफैक्चरर में 16/- रेट दिया तो अगर दूसरा मैन्युफैक्चरर 15.75/- रेट देता है तो बहुत बड़ा फर्क महसूस होता है। 5 पैसे, 10 पैसे तक का अंतर् भी बहुत फर्क डालता है आर्डर के मिलने या न मिलने में।  पर यहाँ पर मुख्य समस्या केवल पैसो की नहीं थी। पार्टी की मैन्युफैक्चरर को एडवांस पेमेंट देकर जोखिम भी नहीं उठाना चाहती थी। वो केवल उसी मैन्युफैक्चरर को एडवांस पेमेंट दे सकती थी जिसपर उसको विश्वास था कि उसकी पेमेंट सुरक्षित रहेगी।  यहाँ पर विश्वास लाभ से ज्यादा महत्व रखता है। कोई भी व्यक्ति किसी ऐसे व्यक्ति को कम रेट के हिसाब से भी पेमेंट नहीं देना चाहेगा जिस पर वह विश्वास नहीं करता बल्कि जिस पर विश्वास करता है उसको अधिक रेट होने के बावजूद भी वह पेमेंट देना पसंद करेगा।  इसीलि

समझदार लोगो के किसी काम को न कर पाने का कारण

बहुत बार में सोचता हूँ कि ऐसा क्या था जिसने मुझे मेरे संघर्ष के समय जिन्दा रखा।  मै युद्ध की बात नहीं कर रहा हूँ। मै बात कर रहा हूँ अपनी बिज़नेस स्टार्टअप जिंदगी की।  जॉब छूटने के बाद, आपके पास दो रास्ते होते है। नयी जॉब ढूढ़ी जाये या अपना स्टार्टअप आगे बढ़ाया जाये। मेरे विचार में जब आपके पास बिज़नेस में लगाने के लिए पूंजी न हो तो फैसला और भी कठिन हो जाता है।  मैंने अपना स्टार्टअप , पार्ट टाइम तौर पर जॉब के साथ ही शुरू कर दिया था। मेरे पास नींव थी पर मकान बनाने के पैसे नहीं थे। तो मकान कैसे बन पाया।  जॉब छूटने से लेकर Elzac के लाभ में आने तक का सफर मै संघर्ष भरा कह सकता हूँ पर मैंने उस दौर में इतनी मेहनत की कि मुझे कभी सोचने का मौका ही नहीं मिला कि सब कुछ कैसे होगा।  कहाँ से पैसा आएगा , कैसे प्रोडक्ट बनेंगे , कैसे डिस्ट्रीब्यूटर्स मिलेंगे , कैसे आगे बढ़ा जायेगा ? बस मै अपने काम में इतना मगन था कि मेरा हार का डर मुझसे कोसो दूर था। जब तक आप स्थिति का ज्यादा मूल्यांकन नहीं करते तब तक आपको डर या असफलता जैसी कोई संभावनाएं नजर नहीं आती।  आपका ध्यान केवल आपके लक्ष्य पर केंद्रित होता है। आपको नहीं

बिज़नेस में सफल कैसे हो ?

 जब भी कोई मुझसे पूछता है कि अगर मुझे फार्मा बिज़नेस में सफल होना है या उसे स्थापित करना है तो उसे क्या करना पड़ेगा।  मेरा एक साधारण सा जवाब होता है - अपना नेटवर्क बनाना ! बहुत सारे लोग इसे समझ नहीं पाते और उन्हें लगता है मै नेटवर्क मार्केटिंग की बात कर रहा हूँ।  मै यहाँ नेटवर्क मार्केटिंग की बात नहीं कर रहा हूँ। नेटवर्क हर बिज़नेस में होता है और बिज़नेस में सफल होने के लिए आपको उसको बनाना पड़ता है।  आहिये इसे समझते है ! एक फार्मास्यूटिकल मैन्युफैक्चरिंग कंपनी कब स्थापित मानी जाएगी। जब उसकी सेल अच्छी हो रही हो और वह अपने मैन्युफैक्चरिंग किये गए प्रोडक्ट्स सही तरह से बेच रही हो और उसको उससे लाभ हो रहा। बिज़नेस के अनुसार उसके लाभ उसके खर्चो से ज्यादा हो।  एक मैन्युफैक्चरिंग कंपनी कई तरह से अपने प्रोडक्ट्स बेच सकती है।  १. वो मार्केटिंग कम्पनीज के लिए उनके ब्रांड बना सकती है  २. वो खुद की मार्केटिंग करके खुद के ब्रांड बेच सकती है  दोनों ही तरीको में उसको क्या करने की जरूरत है। उसको अपना एक नेटवर्क बनाने की जरूरत है।  पहले तरीके में अगर मैन्युफैक्चरिंग कंपनी दूसरी मार्केटिंग कंपनियों के लिए प्रो

अपने आरामदायक दायरे से बाहर निकले

मै जब भी किसी को खुद का व्यवसाय शुरू करने का सुझाव देता हूँ तो मेरा हमेशा यही प्रयास होता है कि आप अपने आरामदायक दायरे से बाहर निकले।  मैं कभी भी यह नहीं कहता कि आपको अपनी जॉब छोड़ कर अपना व्यवसाय शुरू करना चाहिए। मै हमेसा इसी बात पर जोर देता हूँ कि आपको अपनी आर्थिक स्थिति के अनुसार ही कोई भी फैसला लेना चाहिए। और मै इस बात को जानता हूँ कि अपनी परिवारिक जिम्मेवारियों की वजह से ज्यादातर लोग जॉब छोड़ने की स्थिति में नहीं है।  मै भी नहीं था ! मै अपनी जॉब में एक आरामदायी स्थिति में पहुँच चूका था। मै बदलना नहीं चाहता था। मुझे लगता था कि सब सही चल रहा है और सब सही चलता रहेगा। पर कुछ घटनाक्रम ऐसे थे जिन्होंने मेरे सोचने का तरीका बदल दिया और मुझे यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि जैसा चल रहा है वैसा हमेशा नहीं रहेगा।  एक दिन ऐसा आया भी जहाँ सब कुछ बदल गया पर मेरे पास आगे बढ़ने का रास्ता था , न कि केवल परिस्थिति पर विलाप करने का।  व्यवसाय पार्ट टाइम शुरू किया जा सकता है। हो सकता है उससे आपको पैसा न आ रहा हो। हो सकता है वह केवल नाम मात्र का ही हो। पर यह आपको एक नया शख्स बनाता है। यह बिलकुल उस तरह काम करत

आपको बिज़नेस में नैतिक रूप से कभी भी गलत नहीं होने चाहिए

मेरी बिज़नेस के मामले एक बड़ी ही रोचक अवधरणा है।  मेरा मानना है कि आप बिज़नेस में नैतिक रूप से कभी भी गलत नहीं होने चाहिए। कभी कभी हो सकता है कि कानूनन रूप से आप गलत हो। या आप कुछ ऐसा कर रहे हो जो नियमो से अलग हो पर आपको हर परिस्थिति में नैतिक रूप से सही होना जरूरी है।  यहाँ मेरा नैतिक रूप से कही मतलब हो सकते है। जैसेकि क्वालिटी से कभी समझौता न करना , किसी के साथ आर्थिक, भौतिक या मानसिक रूप से धोखा धड़ी न करना, सबको सही एडवाइस करना और जहाँ तक खुद का नुकसान न होता हो दुसरो की मद्द्त करने को तैयार रहना।  स्थान, समय और परिस्थितियों के हिसाब से नैतिकता की परिभाषा बदलती रहती है और उसके हिसाब से आप अपनी नैतिकता की परिभाषा को तय कर सकते है।  अगर आपको बिज़नेस में बिना किसी परेशानी के काम करना है तो आपको देश और समाज से जुड़े नियमो एवं कानूनों का पालन करना चाहिए। और बड़ा जरूरी भी है आपकी लम्बी अवधि के विकास के लिए।  मै यहाँ पर आपको किसी तरह कानून तोड़ने के लिए नहीं कह रहा हूँ। मै खुद कानूनों का पालन बड़ी सावधानी से करता हूँ और हर क़ानूनी करवाई के बाद ही कोई कदम लेता हूँ।   'कानूनन रूप से आप गलत हो'

क्या मेहनत का फल मिलता है ?

बिज़नेस में या जिंदगी में बहुत सारे समय ऐसे आते है जब हमे लगता है कि हम मेहनत तो बहुत कर रहे है पर उसके मुताबिक हमे परिणाम नहीं मिल रहा।  जब भी आप बिज़नेस को स्टार्टअप करते हो और उसमे आगे बढ़ते हो तो आपके सफर में बहुत सारे ऐसे मुकाम आएंगे जहाँ आपको नाम मात्र के परिणाम मिल रहे होंगे जबकि आप मेहनत बहुत कर रहे होंगे। अगर आप मेहनत नहीं कर रहे है तब तो आपको अगर परिणाम नहीं आ रहे है तो कोई कुछ नहीं कर सकता। पर अगर आप मेहनत कर रहे हो पर फिर भी आपको अच्छे परिणाम नहीं मिल रहे है तो आपको उस कार्य पर नहीं दुसरो कार्यो पर देखने की जरूरत है।  कभी कभी क्या होता है कि हमे एक काम को बड़ी मेहनत के साथ करने के बाद भी परिणाम नहीं आ रहे है तो आपको किसी दूसरे काम में उसी समय बिना मेहनत किया परिणाम आ रहे होते है।  मैंने इस चीज़ को बहुत बार पाया है ,मै अपनी जॉब के शुरुआती सालो में नए क्लाइंट्स जोड़ने पर बहुत मेहनत करता था। मै दिन में बहुत सारे कॉल करता था और कही से भी कोई सकारात्मक जवाब नहीं आता था। पर फिर भी हर महीने कहीं न कहीं से कुछ ऐसे क्लाइंट जुड़ जाते थे जिनको मै ज्यादा कॉल भी नहीं करता था। जिनको मै बहुत फॉल