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Showing posts from May, 2021

क्या आयुर्वेदिक मेडिसिन पद्धति अवैज्ञानिक है ?

क्या आयुर्वेदिक मेडिसिन पद्धति अवैज्ञानिक है ? मै किसी तरह की बहस में कभी नहीं पड़ना चाहता। मुझे लगता है कि मै उन लोगो में से हूँ जो इस प्रश्न का जवाब देने के योग्य है। मै एक फार्मासिस्ट हूँ। मैंने अपनी फार्मेसी की डिग्री (डिप्लोमा भी) एलोपैथिक मेडिसिन में किया है। और मैंने अपने करियर के शुरुआती सात साल एलोपैथी मेडिसिन की कंपनी में काम किया है और उसके बाद मैंने अपना आयुर्वेदिक स्टार्टअप शुरू किया था क्यूंकि इसको शुरू करना एलोपैथी मेडिसिन में स्टार्टअप शुरू करने से आसान था और आयुर्वेदिक मेडिसिन की मांग बढ़ने लग रही थी जबकि एलोपैथी में एक अच्छी मार्किट होने के साथ साथ बहुत ज्यादा प्रतियोगिता (कम्पटीशन) है और स्टार्टअप लागत बहुत ज्यादा है। मैंने दोनों इंडस्ट्री में काम किया है। करोना के कारण एक बहस का जन्म हुआ कि आयुर्वेदिक अच्छा है या एलोपैथिक। मेरे हिसाब से दोनों ही नहीं है। दोनों ही अपने आप में अपूर्ण है। दोनों में ही अभी बहुत कुछ कमियां है। अगर मै अपने अनुभव के आधार पर बताओ तो दोनों ही बिज़नेस है। कम्पनियाँ (चाहे आयुर्वेदिक हो या एलोपैथिक ) केवल पैसे के लिए काम करती है। डॉक्टर केवल पैसे

क्या खुद को सही सिद्ध करना हमारी तरक्की में हमे मद्द्त करता है।

हमारे पास हमारे कृत्यों को सही साबित करने के तर्क होते है।  हम कुछ भी करते है चाहे वो गलत हो या सही। हम उसको सही साबित करने के लिए बहुत सारे तर्क दे सकते है। तर्को का कोई आधार भी हो सकता है और नहीं भी।  यह तो हम अपने दिल की गहराई में जानते है कि हम सही कर रहे है या गलत। पर दुसरो के सामने हम अपने आप को सही सिद्ध करने की कोशिश करते है। हमारे पास तत्य होते है, कहानी होती है और हम खुद ही गवाह होते है और खुद ही वकील।  पर क्या खुद को सही सिद्ध करना हमारी तरक्की में हमे मद्द्त करता है।  नहीं ! दोनों में से किसी भी स्थिति में चाहे हम सही हो या गलत। खुद को सही साबित करना का तर्क व्यर्थ ही होता है। इसका हमारी सफलता या असफलता पर कोई काश फर्क नहीं पड़ता।  इसीलिए दुसरो को अपने बारे में समझाने से अच्छा है कि हम केवल अपने कार्य पर ध्यान लगाए और बातो की बजाय केवल अपने काम से दुसरो तक अपनी बात पहुंचाए। 

आपके पास कोई न कोई वास्तविक प्रोडक्ट या सर्विस होना जरूरी है

आज के दौर में इंटरनेट का बहुत बोल बाला है। केवल इंटरनेट का उपयोग करके ब्लॉग्गिंग के द्वारा, यूट्यूब पर या किसी भी माध्यम से लोग काफी अच्छा पैसा इंटरनेट के द्वारा कमा रहे है। यह काफी कूल लगता है जब आप बिना किसी तरह की पूंजी लगाए या केवल लोगो का मनोरंजन करके या उनको ज्ञान देकर आप बहुत बड़ी कमाई महीने में कर लेते हो।  पर मेरा मानना है कि आपके पास कोई न कोई वास्तविक प्रोडक्ट या सर्विस होनी चाहिए। यह भविष्य में आपकी कमाई की सार्थकता को बनाये रखेगा।  हो सकता है कि आप अपने लेखो से या वीडियो के माध्यम से या पॉडकास्ट से एक अच्छी आय कमा रहे हो पर अगर आपके पास अपना कुछ नहीं है और आप केवल किसी सोशल नेटवर्क पर ही यह सब कर रहे हो तो आप बहुत बड़ी मुसीबत में पड़ सकते है। मान लीजिये आपके पास एक यूट्यूब चैनल है जिसके 100000 सब्सक्राइबर्स है और आप महीने में 40 से 50 हजार रुपए महीना कमा रहे है। यह आपका एक व्यवसाय है। जो आपकी कमाई का साधन है। पर अपने अपना यह बिज़नेस किसी और की दुकान में शुरू किया है। और दुकान का मालिक कभी भी या तो दुकान बंद करने के बारे में सोच सकता है या आपके प्रति उसका नजरिया बदल जाता है और

सफल हर कोई होना चाहता है पर सफल होने की कीमत कोई नहीं चुकाना चाहता।

सफल हर कोई होना चाहता है पर सफल होने की कीमत कोई नहीं चुकाना चाहता।  प्रकृति का एक नियम है अगर वो कुछ देती है तो उसके बदले में उसको कुछ चाहिए। अब आप क्या दे सकते हो यह आप पर निर्भर करता है। आप जो मांगते हो यह आपको वह देती है पर आपकी मांग आपके कार्यो के साथ जुडी होनी चाहिए।  प्रकृति का यह नियम बिलकुल सरल है। अगर सफल होना है तो सफल होने की कीमत चुकानी पड़ेगी। यह कीमत कोई बड़ी नहीं होती। प्रकृति केवल वह मांगती है जो आपके पास होता है। आपके पास समय है , ज्ञान है , पैसा है या कुछ और। जो आपके पास है अगर वो आप देने के लिए तैयार हो तो यह आपको वो सब देगी जो उसके पास है या आप चाहते हो।  पर फिर भी लोग सफल क्यों नहीं हो पाते।  इसका एक सीधा सा जवाब है और वह है वो वह नहीं देना चाहते जो उनके पास है।  एक व्यक्ति सफल होना चाहता था वह एक बिज़नेस गुरु के पास गया और उसने उससे पूछा कि वह कौन सा मन्त्र है जिससे आप सफल हो पाये। मै वह जानना चाहता हूँ और सफल होना चाहता हूँ। मुझे सफलता का रहस्य दीजिये।  बिज़नेस गुरु बोला कि सफलता का केवल एक नियम मै जानता हूँ वो वह है कि जो मेरे पास है वो दुसरो को बांटना। मेरे पास जब

कोई भी पूंजी को खोने का जोखिम नहीं लेना चाहता !

जोखिम जिंदगी में बहुत ही हम्मीयत रखता है। बुद्धिजीवी कहते है कि जोखिम के बिना बिज़नेस में सफल होना या उसे शुरू कर पाना भी बहुत ही मुश्किल होता है।  मैंने पाया है कि लोग जोखिम लेने से डरते है यहाँ तक की उन जोखिमों को लेने से भी जहाँ उनको कोई ज्यादा नुकसान नहीं होने जा रहा है।  कल मै अपने दोस्त से बात कर रहा था। बात में चर्चा का विषय था कि उसके पास पैसे नहीं है जिसकी वजह से वो काम शुरू नहीं कर सकता। यह लगभग हर व्यक्ति के बिज़नेस शुरू न कर पाने के कारणों में से एक है। जो वह कह रहा था वो सत्य हो पर जब उसके पास पैसा था और उसके पास विकल्प था बिज़नेस शुरू करने का और वो मेरे पास आया था तब भी वो बिज़नेस शुरू नहीं कर पाया।  हो सकता हो आज उसके पास पैसा न हो , तब तो था और तब वह शुरू कर सकता था पर वह शुरू नहीं कर पाया। उसी तरह मैंने बहुत सारे लोगो को शुरू न कर पाते हुए देखा है। कारण यह नहीं था कि उनके पास पर्याप्त पूंजी नहीं थी। कारण था कि जितनी पूंजी वो आराम से बिज़नेस में निवेश कर सकते थे वो भी वो करना नहीं चाहते थे।  न करने का केवल एक ही कारण था और वह था - वो उस पूंजी को खोने का जोखिम नहीं उठाना नहीं

लोग बिज़नेस की सच्चाई जानना नहीं चाहते

मुझे Elzac को शून्य से थोड़ी स्थापना तक लेन में सात साल का समय लगा। अपने ब्लॉग को अच्छी रैंकिंग में लाने में कम से कम तीन साल का समय लगा था। अपने यूट्यूब चैनल को रैंकिंग में लाने के लिए मै अभी भी संघर्ष ही कर रहा हूँ।  पर मुझसे जब भी कोई मिलता है और अपना व्यवसाय शुरू करने के लिए बात करता है और मै कहता हूँ कि आपको कम से कम 3 से 5 साल का समय लगेगा अपना व्यवसाय स्थापित करने में तो उनको लगता है कि मै उन्हें डिमोटिवेट कर रहा हूँ पर मै उन्हें सच्चाई से अवगत करा रहा होता हूँ।  लेकिन सबसे ज्यादा जो अजीब बात मै महसूस करता हूँ कि लोग सच्चाई जानना नहीं चाहते। उनको लगता है कि उनके पास इतना समय नहीं है खुद के व्यवसाय को देने के लिए , वो जल्दी कामयाब होने के मन्त्र चाहते है। पर असल मै मेरे पास ऐसा कुछ नहीं होता। मै किसी को केवल वह ही दे सकता हूँ जो मेरे पास है। और मेरे पास मेरा अनुभव है जिसके आधार पर मै कह सकता हूँ कि सफल होने का कोई छोटा रस्ता नहीं होता। आपको यह सफर तो तय करना ही पड़ेगा।  सबसे बड़ी विडंबना यह है कि मै जब एक साल या दो साल या तीन साल बाद उनसे मिलता हूँ तब भी वो कुछ शुरुवात करने के बारे

व्यवसाय अनिश्चिताओ का खेल है

 जिंदगी अनिश्चिताओ का नाम है। हम योजना बनाते है। अपने आंतरिक जगत में एक कल्पना गढ़ लेते है और बाद में पता चलता है कि जो हमने सोचा था वो तो हुआ ही नहीं। यह तो बिलकुल विपरीत ही हुआ।  जिंदगी की तरह व्यवसाय में भी ऐसा ही होता है। हम सोचते कुछ और है और हो कुछ ओर ही जाता है। अपनी हर योजना, अपना हर निर्णय हम अपनी वर्तमान स्थिति को देख कर लेते है पर भविष्य की गोद में क्या छिपा है किसी को नहीं पता होता।  मुझे नहीं पता की यह सबके साथ व्यवसाय में सबके साथ होता है या केवल मेरे ही साथ। पर सैद्धांतिक तौर पर मै जो योजना बनाता हूँ होता उसके विपरीत है। उदाहरण के तौर पर अगर मैंने किसी को इस महीने 5 लाख का भुगतान करने की योजना बनाई तो मै कोशिश करने के बावजूद भी उस लक्ष्य को नहीं प्राप्त कर पाउँगा। कुछ ऐसा हो जायेगा जो मैंने सोचा भी नहीं था।  यह तो एक साधारण सा उदाहरण था। जब सब कुछ सही चल रहा होता है तो हम बहुत सारे ऐसे फैसले ले लेते है जो हमे सम्भव लगते है अपनी वर्तमान स्थिति के हिसाब से। और हम पूरी तरह आश्वस्त होते है कि हम यह काम किसी भी ख़राब से ख़राब स्थिति में भी कर लेंगे पर ऐसा नहीं होता। कुछ न कुछ ऐस

क्या चीज़ो को सीखना आसान है ?

 कभी कभी हमे लगता है कि चीज़े बहुत मुश्किल होगी पर जब हम उन्हें सिखने जाते है तो हमे लगता है कि यह तो बहुत आसान था।  अभी हल का उदाहरण बताता हूँ।  मुझे लगता था की यूट्यूब पर टाइम स्टम्प लगाना बड़ा ही मुश्किल काम होगा पर जैसे ही मैंने गूगल पर लिखा कि मै कैसे अपने वीडियो पर टाइम स्टम्प लगा सकता हूँ तो एक 2 मिनट के आस पास का वीडियो आया और उसने मुझे बिलकुल आसानी से सब कुछ समझा दिया और मुझे मुश्किल से 15 मिनट लगे यह सिखने में और मैंने इसे अपने वीडियो पर उपयोग किया।  सबकुछ बड़ा आसान निकला। अगर चीज़े इतनी आसान भी हो सकती है तो फिर भी हम चीज़ो को क्यों नहीं सीखते। इसका सीधा सा जवाब है - क्युकी 99% बार हम कोशिश ही नहीं करते और बिना कोशिश किये बिना ही त्याग देते है। और हम आसान चीज़ो को भी नहीं सिख पाते।  क्यों त्यागते है इसका उत्तर हमारे पास भी नहीं होता। बस हमारे पास बहाने रह जाते है। 

हम बिज़नेस शुरू करने में सफल क्यों नहीं हो पाते ?

हम बिज़नेस शुरू करने में सफल क्यों नहीं हो पाते ? हम असफल क्यों होते है , इसका जवाब हमारे खुद के पास  है।  हम बिज़नेस में ही नहीं किसी भी चीज़ में क्यों असफल होते है ? यह सवाल किसी ओर से पूछने की बजाय अगर हम खुद से पूछते है तो शायद हम खुद इसका जवाब सही तरह से दे पाए कि हम किसी चीज़ में पहले असफल हुए तो क्यों असफल हुए। अगर मै यह सवाल खुद से पूछता हूँ तो बड़े जायके दार उत्तर निकल कर सामने आते है।  सबसे मज्जेदार सवाल : मै अपने क्रश को अपनी गर्ल फ्रेंड क्यों नहीं बना पाया ? उत्तर : मैंने कभी कोशिश ही नहीं की। मैंने बिना कोशिश किये ही यह मान लिया कि मै इस कार्य में सफल ही नहीं हो सकता। जब मैंने मान ही लिया की मै सफल ही नहीं हो सकता तो मै कभी भी सफल नहीं हो सकता।  हम बिज़नेस में भी बहुत कुछ मान कर चलते है। हम बहुत सारे पूर्वाग्रह से ग्रषित होते है या मार्किट में बहुत सारे लोग अपनी बातो से हमारे मन में धारणाये बना देते है कि क्यों लोग हमसे प्रोडक्ट/सर्विस नहीं खरीदेंगे।  यह धारणाये हमे बहुत कुछ करने से रोकती है। बिज़नेस को शुरू करना एक क्रश की तरह होता है और उसको स्थापित करना एक गर्ल फ्रेंड की तरह ह