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Showing posts from July, 2021

सफलता की राह में सबसे बड़ा बाधक

 सफलता की राह में सबसे बड़ा बाधक यह नहीं है कि हमारे पास कुछ नहीं है।  सफलता की राह में सबसे बड़ा बाधक यह है कि हम शुरुआत करने की शक्ति को समझ नहीं पाते। हम यह नहीं समझ पाते कि बड़ी से बड़ी मंजिल भी एक कदम से शुरू होती है और हम शुरुआत में ही यह मान बैठते है कि हमसे नहीं हो पायेगा।  हमारे पास क्या है क्या नहीं ? यह मायने नहीं रखता। हम अपने पास क्या है और उसका किस तरह से उपयोग करते है यह मायने रखता है।  अक्सर में यह देखता हूँ कि लोग इस बात को समझने की कोशिश नहीं करते या उनको लगता है कि यह सम्भव ही नहीं है।  वो जल्दी परिणाम चाहते है और बड़े से बड़ा कदम लेकर जल्दी ही सफल हो जाना चाहते है। और बड़े कदम लेने के चकर में होंदे मुँह गिरते है।  मै अक्सर लोगो को पहला कदम न ले पाते हुए देखता हूँ। वो शुरुआत करने से डरते है और यह डर कुछ समय बाद  गुस्से का रूप ले लेता है और गुस्सा आगे चल कर निराशा का रूप ले लेता है।  अगर आप पहला कदम लेंगे और फिर चाहे छोटे छोटे कदम लेते रहते है तो आप अपनी मंजिल तक अवश्य पहुंचेंगे चाहे देर से ही सही पर आप दुनिया के उन कुछ 3-4% लोगो में से कुछ होंगे जो यह कर पाए है बाकि के लोग

अपना स्टार्ट-उप भी एक तरह से इन्वेस्टमेंट का ही प्रकार है !

हमारे पास इन्वेस्ट करने के बहुत से विकल्प होते है।  विकल्पों की कभी भी कमी नहीं होती पर क्या हमारे लिए अच्छा है और क्या बुरा यह समझ हममे होना जरूरी है। हर वस्तु एक प्रकिर्या से गुजरती है। अब आपमें इतना धैर्य है या नहीं , यह आप पर निर्भर करता है।  मैंने अपने बिज़नेस की शुरुआत से उसके ब्रेक इवन पॉइंट तक उसमे हमेशा इन्वेस्ट किया। जब तक उसको थोड़े पैसो की जरूरत थी तो अपनी लगभग सारी सैलरी में उस पर लगा देता। लगभग सारी सैलरी का मतलब कि केवल बहुत ही जरूरी चीज़ो के लिए पैसा बचा कर अपना 90% पैसा में अपने बिज़नेस पर लगा देता था।  मैंने अपनी व्यक्तिगत जिंदगी में पैसो की बहुत ही किलत देखी है। मेरे खर्चे बहुत ही कम थे , एक बहुत ही साधारण से जिंदगी जीने वाला इंसान हूँ मै। और बहुत कम में गुजारा कर सकता हूँ पर फिर भी एक एक रूपये के लिए मैंने अपने आप को संघर्ष करते हुए देखा है केवल इस लिए कि मै बिना सोचे समझे अपने बिज़नेस पर पैसा लगाता जा रहा था।  आज पीछे मुड़ कर देखता हूँ तो मुझे अपने द्वारा लिए कुछ अच्छे फैसलों से वो लगता है जिसने मुझे अपना बिज़नेस स्थापित करने में मद्द्त की।  मै यह नहीं कह रहा कि आप भी अपन

आदते हमारी सफलता और असफलता में बड़ी हमीयत रखती है।

आदते हमारी सफलता और असफलता में बड़ी हमीयत रखती है।  आदतों की ताकत को पहचानना बड़ा मुश्किल काम है और बहुत बार समझाने के बावजूद भी लोग इसे समझने की कोशिश नहीं करते।  मेरे एक वेंडर के पास एक लड़का काम करता है और वो मुझसे अपने नए स्टार्ट-उप के बारे में चर्चा करता रहता है। हो सकता है कि वो एक टैलेंटेड लड़का है और अपने स्टार्ट-उप को सफल भी कर ले पर एक चीज़ पर मै उसकी जब भी गौर करता हूँ तो मै उसको समझाने की कोशिश करता हूँ कि अपनी आदते सुधार ले।  आदते बड़ी शक्तिशाली होती है। हम जो आदते अपनी जॉब में बना लेते है वो आदते हमारे स्टार्ट-उप में भी हमारा पीछा करती रहती है।  उस लड़के को अनुशासन में रहना नहीं आता। लेट आना, बहुत ज्यादा छुटियाँ करना , अपने काम को टालते रहना इत्यादि। उसे लगता है कि वो यह चीज़े अपने स्टार्ट-उप में सुधार लेगा। पर यह मुझे नहीं लगता और मै बहुत बार उसको यह समझाने की कोशिश करता हूँ।  अनुमानन अपने पढ़ा होगा कि 21 दिन में आदते बदल जाती है। पर आदते 21 दिन में नहीं बदलती। 21 दिन में हमे अपने नए तोर तरीके में आने में लगता है। पुरानी आदतों के साये से बाहर आने में लगता है। एक नयी आदत को बनने म

सबसे ज्यादा जरूरी क्या है - सेल्स या मार्केटिंग ?

कमाल की बात है कि हमसे ज्यादातर लोग जो स्टार्ट-उप शुरू करते है एक सबसे जरूरी चीज़ की तरफ ध्यान नहीं देते और वो है मार्केटिंग।  हम केवल बेचने पर ध्यान केंद्रित करने की कोशिश करते है। बेचना किसी भी बिज़नेस की जिंदगी के लिए सबसे अहम हिस्सा होता है। पर केवल बेचने पर ध्यान देना हमे हमेशा ही संघर्ष में फसा कर रखता है।  मार्केटिंग बेचने के दबाव को बहुत हद तक कम कर देता है और बेचना बहुत ही आसान लगना शुरू हो जाता है।  मार्केटिंग की पावर को समझना बड़ा जरूरी है। हमेशा सेल्लिंग ही काम नहीं आती। सेल का एक बहुत बड़ा हिस्सा मल्टी नेशनल कंपनियों का उनकी मार्केटिंग से आता है। उनके पास एक बहुत बड़ी सेल टीम होती है उनके पास संशाधन भी होते है पर वो सेल्लिंग के साथ साथ कंपनी की एक छवि बनाने पर भी ध्यान केंद्रित करते है।  कंपनी की मार्किट में एक छवि बनाना ही मार्केटिंग होती है। मार्केटिंग का उदेश्य ही लोगो में कंपनी के प्रति विश्वास पैदा करना और कंपनी को ज्यादा से ज्यादा लोगो तक पहुंचना है।  अगर आप में ज्यादा से ज्यादा लोगो तक पहुँचने की काबिलियत आ गयी तो आपके लिए कुछ भी बेचना बहुत ही आसान हो जायेगा।  इसको थोड़ा

क्या कोई स्टडी है जो आपको किसी देश का प्रधान मंत्री या राष्ट्रपति बना सके?

 बिज़नेस स्टार्टअप में और बिज़नेस एडमिनिस्ट्रेशन में बहुत फर्क होता है।  अधिकतर व्यक्तियों को लगता है कि MBA करके उनका बिज़नेस शुरू करने का रास्ता आसान हो जायेगा। बिज़नेस शुरू करना और चले हुए बिज़नेस को चलाने या बढ़ाने में फर्क होता है।  यह कुछ ऐसा है कि आप एक गाड़ी का इंजन खुद बन रहे हो या पहले से बने इंजन की सर्विस या रिपेयरिंग का काम कर रहे हो।  MBA में या engineering में या फार्मेसी में केवल यह सिखाया जाता है कि पहले से ही बनी चीज़ो का उपयोग कैसे किया जाये। एक बिज़नेस को कैसे चलाया जाये, एक इंजन को कैसे गाड़ी में फिट किया जाये, दवाइयों से कैसे उपयोग किया जाये।  पर कोई भी स्टडी हमे यह नहीं सिखाती कि नया बिज़नेस कैसे बनाया जाये, नई टेक्नोलॉजी कैसे बनायीं जाये या नयी दवाई की खोज कैसे की जाये।  हमारे ज्यादातर एजुकेशन सिस्टम की बुनियाद बढ़िया एम्प्लोयी विकसित करना है , न कि भविष्य के एम्प्लायर।  क्या कोई मुझे बता सकता है कि अगर आपका एक अच्छा नेता बनना हो, एक बिज़नेस मैन बनना हो, एक इंटरप्रेन्योर बनना हो, एक ऐसा शख्स जो इस दुनिया को बेहतर और उन्नत बनाने का सपना देखता हो वो बनना हो तो कैसे बना जा सकता

बेस्ट एवर बिज़नेस मार्केटिंग आईडिया

 फेसबुक ने अपनी मार्केटिंग के लिए इ-मेल का उपयोग किया था। जो भी फेसबुक पर अकाउंट बनाता था फेसबुक उसकी इ-मेल लिस्ट का उपयोग करके व्यक्तियों को फेसबुक ज्वाइन करने को आमंत्रित करता था। उसके लिए यह मार्केटिंग तकनीक बड़ी ही उपयोगी रही।  अमेज़न कई साल तक गूगल ad का सबसे उपभोक्ता रहा। वह किसी भी अन्य कंपनी की बजाय गूगल ad पर सबसे ज्यादा खर्च करता था और उसका ज्यादातर बिज़नेस गूगल ad से ही आता था।  LinkedIn ने भी मेल invitation के द्वारा ही ग्रो किया।  तो आपके लिए कौन सी मार्केटिंग स्ट्रेटेजी रहेगी : इ-मेल  सोशल मीडिया  गूगल  यूट्यूब  लिंकेडीन  इंस्टाग्राम  और कोई और नेटवर्क  मेरे हिसाब से आज के समय में किसी एक का उपयोग करना सही नहीं है। आपको सबका उपयोग करना चाहिए। क्या पता आपका कस्टमर किस जगह आपका इंतजार कर रहा हो।  सबका उपयोग करना ही आज का सबसे बड़ा मार्केटिंग आईडिया है।  ये बिलकुल आसान सा आईडिया है पर अगर आपको लगता है कि आज के समय में इंटरनेट सबसे शक्तिशाली है तो उससे जुड़े मार्केटिंग टूल्स भी सबसे शक्तिशाली है।     

बिज़नेस शुरुआत करना सफल होने की गरंटी नहीं है

केवल बिज़नेस की शुरुआत करते ही कुछ लोग लोगो को लगता है कि वो सफल हो गए। उनके फेसबुक,ट्विटर,इंस्टाग्राम या किसी भी सोशल मीडिया प्रोफाइल पर अगर आप देखोगे तो आपको ओनर, इंटरप्रेन्योर, MD जैसे शब्द मिलेंगे।  उन्हें लगता है कि बिज़नेस शुरू करना दुनिया का सबसे कूल काम है। इसको कूल समझना ही उनकी सबसे बड़ी बेवकूफी होती है। जब हम किसी चीज़ को कूल समझते है तो हम मान लेते है कि यह आसान होगी। यह शो ऑफ की चीज़ है और अब हम दुनिया के सबसे कूल इंसान है।  हो सकता है कि इंटरप्रेन्योर शिप दुनिया के सबसे कूल कामो में से एक हो। पर यह सबसे मुश्किल कामो में से भी एक है। लोग इसका कूल वाला हिस्सा तो देख लेते है पर इसका दूसरा हिस्सा नहीं देख पाते और गलती कर जाते है इसको आसान समझने की।  बिज़नेस शुरू करना एक कदम है जो सबसे मुश्किल फैसलों में से एक होता है किसी के लिए भी। मै यहाँ उन लोगो की बात नहीं कर रहा हूँ जो फॅमिली बिज़नेस में है या जिन्होंने घर वालो से पैसे लेकर बिज़नेस शुरू किया है। उनके लिए यह फैसला आसान होता है क्यूंकि उनका दांव पर कुछ नहीं लगा होता।  मै उन लोगो की बात कर रहा हूँ जो इस स्थिति में कभी नहीं होते की

बिज़नेस के सिद्धांत हमेशा एक ही रहते है

 बेसिक्स हमेशा एक ही रहते है। चाहे बिज़नेस छोटा हो या बड़ा उसके आधारभुत सिद्धांत नहीं बदलते।  मै हमेशा बेसिक सिखाने की कोशिश करता हूँ और मुझे यह देख कर हैरानी होती है कि लोग बेसिक्स नहीं सीखना चाहते। उनकी हैक्स में दिलचस्पी है। वो बिज़नेस शुरू नहीं कर पा रहे है और वह यह सीखने की कोशिश कर रहे है कि बिज़नेस को scale-up कैसे करे , बिज़नेस को सफल कैसे करे, अपने बिज़नेस को नयी ऊंचाइयों तक कैसे लेकर जाये।  वो उस संघर्ष के बारे में नहीं सीखना चाहते जो बिज़नेस को शुरू करने में और बिज़नेस को शुरुआत में बचाये रखने में उपयोगी होता है।  आप बिज़नेस के बारे में कितना कुछ सीख लो। जब तक आप उसे शुरू नहीं करते आप उसके बारे में कुछ नहीं जान पाओगे। यह कुछ ऐसा है कि किनारे पर बैठ कर आप तैरना सीख रहे हो या आप जो तैर रहे है उनमे कमी निकाल रहे है।  लेकिन यकीं मानिये जब तक आप पानी में नहीं उतरते तब तक न आप कुछ सीख सकते है और न ही अपनी जिंदगी में कुछ बदल सकते है।  छोटे स्तर से बिज़नेस शुरू करना आपको बेसिक सीखने में मदत करता है। यह तालाब में तैरना सीखने के बराबर है। वहां खतरे कम होते है और आपको पता होता है कि वहां बचने के

समय के साथ साथ आपकी जरूरते भी बदलती रहती है।

 समय के साथ साथ आपकी जरूरते भी बदलती रहती है।  शुरुआत में जब यह लग रहा था कि बिज़नेस शुरू करने का कोई मौका नहीं है तो मेरी सोशल मीडिया स्ट्रेटेजी केवल ब्लॉग से यूट्यूब से या सोशल मीडिया से पैसे कमाने की तरफ ही थी।  ऐसा नहीं है कि मैंने इन सबसे पैसा नहीं कमाया। मैंने अच्छा खासा पैसा कमाया और इन सबके सहारे ही अपना आयुर्वेदिक में बिज़नेस शुरू किया।  पर समय के साथ साथ जरूरते बदल जाती है। तब मै इंटरनेट का उपयोग पैसे कमाने के लिए करना चाहता था और आज अपने प्रोडक्ट्स के लिए डिस्ट्रीब्यूटर्स ढूंढ़ने के लिए करने की कोशिश करता हूँ।  क्यों ? क्यूंकि मुझे लगता है कि अगर मै इंटरनेट से पैसे कमाने के लिए मेहनत करता हूँ तो उससे आने वाली इनकम एक डिस्ट्रीब्यूटर से आने वाले मार्जिन से बहुत कम है।  पर हर चीज़ के अपने फायदे और नुकसान होते है।  अगर आपको इस से कोई सीख लेनी है तो आप यह ले सकते है कि अपनी वर्तमान स्थति के हिसाब से आपको अपनी स्ट्रेटेजी बनानी चाहिए और वक्त के साथ उसमे बदलाव करने को तैयार रहना चाहिए। 

जॉब की शुरुआत में जितना क्रिएटिव हो सको होना चाहिए

स्टूडेंट्स के लिए या उन व्यक्तियों के लिए जो अभी अभी अपना करियर शुरू कर रहे है उनके लिए मेरा एक ही एडवाइस है कि आप जितना अपनी इंडस्ट्री के बारे सीख सकते हो उतना आपको शुरूआती कुछ सालो में सीखने की जरूरत है। आपको बहुत मेहनत करने की जरूरत है , जितनी ज्यादा से ज्यादा responsibility ले सकते हो लेनी चाहिए।  जितना क्रिएटिव हो सकते हो , काम को जितने क्रिएटिव तरीके से करना सीख सकते हो करना चाहिए। आप अपने करियर की शुरुआत में जितने एक्सपेरिमेंट कर सकते हो उतने आप बाद में नहीं कर सकते।  जब हम जॉब करना शुरू करते है तो हममे से ज्यादा लोगो के पास परिवार की रिस्पांसिबिलिटी नहीं होती। हम एक सुंदर भविष्य देख कर किसी फील्ड में आते है। पर हममे से ज्यादातर लोग सीखने की बजाय केवल उससे मिल रहे लाभ पर अपना ध्यान लगाते है।  चाहे फिर वो सैलरी हो या दूसरे लाभ। यह हम अपनी जिंदगी की सबसे बड़ी गलती करते है। शुरुआत में आप जितना सीख सकते हो उतना बाद में नहीं सीख सकते। शुरुआत में आपके पास गलतिया करने का समय होता है , नए नए एक्सपेरिमेंट करने का समय होता है , नए नए रास्ते ढूंढ़ने का समय होता है।  मेरा यहाँ समय से मतलब है

बहुत बार हम केवल इस लिए असफल होते है क्यूंकि हम कंफ्यूज होते है।

बहुत बार हम केवल इस लिए असफल होते है क्यूंकि हम कंफ्यूज होते है। हमे नहीं पता होता है क्या ज्यादा महत्वपूर्ण है और किस को हम नजरअंदाज कर सकते है।  मैंने बहुत बार देखा है कि लोग बहुत ही कंफ्यूज होते है अपने करियर के बारे में , अपने बिज़नेस के बारे में या उनको आगे क्या करना है। उनको कोई रास्ता अगर मिल भी जाता है तो भी वो उसके बारे आशंकित होते है कि यह कामयाब होगा भी या नहीं होगा और वो उस रास्ते पर भी पूरी तरह से ध्यान नहीं लगा पाते।  और यहीं पर सबसे मुख्य गलती हो जाती है। हो सकता है कि वो सही हो और किसी न किसी तरीके से वो कामयाब हो भी जाये पर यह कन्फूशन उन्हें कहीं भी लेकर नहीं जाती।  चलो हम एक उदहारण लेकर चलते है - आपको किसी भी मंजिल पर जाना है और आपको रास्ता नहीं पता। आप किसी तरह रास्ते का पता करते हो और उस पर चल देते हो। पर आप कंफ्यूज रहते हो। कभी आप सोचते हो कि यह रास्ता सही है या नहीं।  कुछ दुरी चल कर आप अपना रास्ता बदल लेते हो। फिर थोड़ी दुरी के बाद फिर कंफ्यूज हो जाते हो। तो यह चीज़ आपको कही लेकर नहीं जाएगी और आखिर में आप रास्ते को दोष देकर कोशिश करना ही छोड़ दोगे।  अगर आप केवल एक ही