बिज़नेस शुरुआत करना सफल होने की गरंटी नहीं है

केवल बिज़नेस की शुरुआत करते ही कुछ लोग लोगो को लगता है कि वो सफल हो गए। उनके फेसबुक,ट्विटर,इंस्टाग्राम या किसी भी सोशल मीडिया प्रोफाइल पर अगर आप देखोगे तो आपको ओनर, इंटरप्रेन्योर, MD जैसे शब्द मिलेंगे। 

उन्हें लगता है कि बिज़नेस शुरू करना दुनिया का सबसे कूल काम है। इसको कूल समझना ही उनकी सबसे बड़ी बेवकूफी होती है। जब हम किसी चीज़ को कूल समझते है तो हम मान लेते है कि यह आसान होगी। यह शो ऑफ की चीज़ है और अब हम दुनिया के सबसे कूल इंसान है। 

हो सकता है कि इंटरप्रेन्योर शिप दुनिया के सबसे कूल कामो में से एक हो। पर यह सबसे मुश्किल कामो में से भी एक है। लोग इसका कूल वाला हिस्सा तो देख लेते है पर इसका दूसरा हिस्सा नहीं देख पाते और गलती कर जाते है इसको आसान समझने की। 

बिज़नेस शुरू करना एक कदम है जो सबसे मुश्किल फैसलों में से एक होता है किसी के लिए भी। मै यहाँ उन लोगो की बात नहीं कर रहा हूँ जो फॅमिली बिज़नेस में है या जिन्होंने घर वालो से पैसे लेकर बिज़नेस शुरू किया है। उनके लिए यह फैसला आसान होता है क्यूंकि उनका दांव पर कुछ नहीं लगा होता। 

मै उन लोगो की बात कर रहा हूँ जो इस स्थिति में कभी नहीं होते की खुद का बिज़नेस शुरू कर सके। वो एक मानसिक उलझन में फसे होते है कि उनको बिज़नेस शुरू करना चाहिए या नहीं। अगर ये हो गया या वो हो गया। उनके इस फैसले पर उनका पूरा भविष्य दांव पर लगा होता है। 

उनके लिए बिज़नेस शुरू करना उनकी जिंदगी के सबसे बड़े फैसलों में से एक होता है। 

पर यह सोचना कि आगे का सफर आसान होगा आपको खतरे में डाल सकता है। बिज़नेस शुरू करना उस तरह होता है कि आप एक स्पोर्ट पर्सन बनना चाहते है और उसके लिए अपने किसी अकादमी में दाखिला लिया है। 

बिज़नेस शुरू करना केवल दाखिले लेने के ही बराबर होता है। अब शायद आप मेरे कहने का मतलब समझ गए होंगे कि स्पोर्ट पर्सन बनने के लिए एड्मिशन लेने भर से आप क्या कर सकते हो। 

आप केवल एक शुरुआत कर सकते हो और अभी आपको एक लम्बा सफर तय करना बाकि है , दर्द सहना बाकि है , अपने दर्द से , अपने डर से पार पाना बाकि है , जितने से पहले बहुत बार हारना बाकि है , कुछ बनने से पहले बहुत बार टूटना बाकि है। 

एक सफल स्पोर्ट पर्सन बनने के लिए जितनी मेहनत की जरूरत होती है एक सफल इंटरप्रेन्योर बनने के लिए भी उतनी ही मेहनत की जरूरत होती है। 

रास्ता एक जैसा होता है बस काम करने और सोचने का तरीका ही केवल अलग होता है। 



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