कॉन्फिडेंस और मोटिवेशन खत्म हो गया है - यहां चार चीजें जो एक नया बिजनेस शुरू करने के लिए जरूरी हैं !
क्या कॉन्फिडेंस और मोटिवेशन कुछ ऐसी चीजें हैं जो ओवररेटेड है क्योंकि मैंने बहुत सारे पर्सन को ऐसे देखा है जिन्हें बिजनेस शुरू किया था तो वह ज्यादा मोटिवेटेड नहीं थे और कुछ पर्सन्स में तो बोलने की एबिलिटी भी नहीं थी उन्हें इतना ज्यादा कॉन्फिडेंस भी नहीं होता तो क्या ऐसी चीजें हैं जो किसी भी बिज़नेस को स्टार्ट करने के लिए बहुत ही ज्यादा जरूरी है कॉन्फिडेंस और मोटिवेशन से भी ज्यादा।
हाय गाइस मै हूँ अजय कंबोज और आज मैं बात करूंगा चार ऐसी चीजों के बारे में जो किसी भी बिजनेस को शुरू करने के लिए वह बहुत ही ज्यादा इंपोर्टेंट है
हाय गाइस मै हूँ अजय कंबोज और आज मैं बात करूंगा चार ऐसी चीजों के बारे में जो किसी भी बिजनेस को शुरू करने के लिए वह बहुत ही ज्यादा इंपोर्टेंट है
स्पष्टता (Clarity )
जो पहली चीज है वह है क्लैरिटी। कॉन्फिडेंस तो टाइम के साथ आता रहता है अगर हम किसी क्रिकेटर को मैच के बाद बोलता हुआ देखते हैं वह काफी कॉन्फिडेंट में नजर आता है लेकिन वह कॉन्फिडेंस की वजह से सक्सेसफुल नहीं हुआ है वह सक्सेसफुल है इसी वजह से उनमे इतना अच्छा कॉन्फिडेंस है
तो किसी भी काम में सफल होने के लिए बिजनस में आपको सफल होने के लिए सबसे जो इंपोर्टेंट चीज है वह है क्लैरिटी।
आपको साफ तौर पर पता होना चाहिए कि आप क्या करने जा रहे हो, कैसे करने जा रही हो और क्यों करने जा रहे हो।
जब मैं बिजनेस में आया था तो मेरे को लगता है कि मैं इतना कॉन्फिडेंस नहीं था लेकिन मेरे में क्लैरिटी थी कि मेरे को काम को कैसे करना है। मैंने एक बार कंपनी को रजिस्टर कराया तो उसके बाद मेरे को पता था कि मैं कैसे काम कर सकता हूं, मैं अभी काम नहीं कर सकता। मेरे को अपनी कंपनी को चलाने के लिए कम से कम तीन साल चाहिए।
तो किसी भी काम में सफल होने के लिए बिजनस में आपको सफल होने के लिए सबसे जो इंपोर्टेंट चीज है वह है क्लैरिटी।
आपको साफ तौर पर पता होना चाहिए कि आप क्या करने जा रहे हो, कैसे करने जा रही हो और क्यों करने जा रहे हो।
जब मैं बिजनेस में आया था तो मेरे को लगता है कि मैं इतना कॉन्फिडेंस नहीं था लेकिन मेरे में क्लैरिटी थी कि मेरे को काम को कैसे करना है। मैंने एक बार कंपनी को रजिस्टर कराया तो उसके बाद मेरे को पता था कि मैं कैसे काम कर सकता हूं, मैं अभी काम नहीं कर सकता। मेरे को अपनी कंपनी को चलाने के लिए कम से कम तीन साल चाहिए।
उसके लिए मैंने ब्लॉगिंग के द्वारा प्रमोट करने का विचार किया। पहले मेरे को पता था कि मेरे पास क्वेरी होगी तो मैं प्रोडक्ट को उपलब्ध करा सकता हूं तो मैंने Google पर रैंकिंग उसकी बढ़ाने की कोशिश करी।
उसके लिए क्वेरी जनरेट करने की कोशिश करी तो कैसे मै कर सकता था। मैं ब्लॉग लिख सकता था मै SEO के बारे में स्टडी कर सकता था तो मेरे को साफ तौर पर पता था कि मेरे को क्या करना है।
मेरे को कंपनी लगानी है उसके बाद मेरे को उसकी रैंकिंग बढ़ानी है और उसके बाद मेरे को दो या चार प्रोडक्ट अभी बनाने हैं उसके बाद मैं आराम आराम से उसमे प्रोडक्ट ऐड कर सकता हूं तो मैं वहां पर बहुत ही ज्यादा क्लियर था।
मेरे में कॉन्फिडेंस नहीं था मेरे को यकीन नहीं था कि मैं कामयाब हो भी जाऊंगा या नहीं हो जाऊंगा लेकिन मैं अपने विजन मैं वहां पर क्लियर था कि मेरे को क्या करना है कैसे करना है और मैं यह सब क्यों कर रहा हूं।
तो कॉन्फिडेंस से भी ज्यादा मैटर करता है कि आप अपने बिजनेस के प्रति जो आप करना चाहते हो। अगर आप में पूरी क्लैरिटी है तो आप उसको better तरिके से कर सकते हो।
परिकलित खतरा (Calculated Risk)
सेकंड नंबर पर जो बात करते हैं वह है कैलकुलेटेड रिक्स।
कॉन्फिडेंस कभी-कभी हमें हाई रिस्क लेने के लिए भी मजबूर कर देता है क्यूंकि हमें वहां पर लगता है कि कि इस काम को हम कर लेंगे और हम अपना सब कुछ वहां पर दांव पर लगा देते हैं।
और हमें बाद में पता लगता है कि है जितना हम सोच रहे थे यह चीज़ उससे ज्यादा रिस्की है लेकिन क्या होता है कि अगर हम लाइफ को थोड़ा रुक कर देखते हैं थोड़ा आराम से अपने आपको तैयार करते हैं इन चीजों के लिए तो यह चीज़े हमे टाइम देती है एक रिस्क को मैनेज करने के लिए, रिस्क को कैलकुलेट करने के लिए
क्यूंकि क्या होता है जो मैं अपने कहीं वीडियो में बात कर चुका हूं कि आपको टाइम लगता है बिजनेस को स्थिर करने के लिए और अगर आपको लगता है कि मेरे को एक्सपीरियंस हो चुका है, मेरे पास पैसा भी पड़ा है और मैं बिजनेस शुरू करूंगा। छह महीने में, साल में तो, मैं इसको स्थापित कर दूंगा या जो भी कर जाऊंगा तो वह प्रैक्टिकली पॉसिबल नहीं होता।
हर चीज को एक टाइम लगता है और तो वहां पर आपको कैलकुलेशन करने की जरूरत, आपको रिस्क फैक्टर की सोच कर उसको कैलकुलेटिंग करके, उसको मिनिमाइज़ करने की जरूरत है।
आपको बिजनेस शुरू करना है आपको पता है कि 3 महीने के बाद वहां पर आपकी इनकम आने शुरू होगी तो आपको 3 महीने तक इनकम का कहाँ से आप उसको जनरेट करोगे तो उसके बारे में आपको प्रीप्लानेड होकर चलना है।
उसके बारे में आपको कैलकुलेट करके चलना है, कहां पर आपको नुकसान हो सकता है, कहां पर कैसे आपको क्लाइंट मिलेंगे, आपकी पेमेंट फसने के चांसेस कितने हैं आपके प्रोडक्ट के एक्सपायर होने के चांसेस कितने हैं तो बहुत सारी चीजें होती है लाइफ में।
क्यूंकि मेरे को पता था कि मैं बिजनेस को स्थापित करने के लिए मेरे को दो या तीन साल चाहिए कम से कम। इतना चाहिए कि मैं इसको थोड़ा सा रनिंग में ला सकूं तो तब तक भी जॉब नहीं छोड़ सकता था या मेरे पास कोई ऐसा इनकम का साधन नहीं था कि मैं अपने बिजनेस को वहाँ पर सरवाइव कर सकता था।
तो मेरी स्ट्रेटजी उसी हिसाब से मैंने वहाँ पर बनाई। मैंने उसी हिसाब से कैलकुलेशन करी रिस्क की कि मैं अगर आज जॉब छोड़ता हूं तो मैं उस बिज़नेस को सवाई कर सकता हूं या नहीं कर सकता हूं।
तो बहुत सारी चीजें होती है तो आपको अपने रिस्क को कैलकुलेट करना बहुत जरूरी है, आपको कैलकुलेटेड रिस्क ही लेकर चलना है।
आपको कॉन्फिडेंस मैं आ कर एकदम से मोटिवेशन में आकर एकदम से कोई रिस्क नहीं लेना है।
भावनात्मक बुद्धि (Emotional Intelligence )
थर्ड नंबर बात करते हैं इमोशनल इंटेलिजेंस।
हमने IQ की बड़ी बात करी है, हमने नॉलेज की बड़ी बात करी है लेकिन बिजनस में नॉलेज के अलावा अलावा आपके एक्सपीरियंस के अलावा आपकी इमोशनल इंटेलिजेंस भी बहुत काम करती है।
अब इमोशनली कितने स्ट्रोंग हो, आप केवल अनुमान के बेसिस पर चल रहे हो या आप रियलटी को ढूंढकर चल रहे हो या नहीं चल रहे हो।
आप जो मेंटल अप-डाउन होता है, जो आर्थिक उप डाउन होता है, जो मानसिक परिस्थितियां बनती है, मेंटल सिचुएशन जो बनती है, उनको सहने के लिए आप काबिल हो या नहीं हो।
आपअपने डिसीजन प्रेशर में कैसे लेते हो, जब आप पूरे दबाव में आ जाओगे तब आप में फैसला कैसे लोगे।
तो बहुत सारी चीजें ऐसी होती है जो इस चीज पर डिपेंड करती है कि कहीं आप भावनाओं में बह गए तो कोई डिसीजन नहीं ले रहे हो।
आपकी किसी पार्टी ने आपको कुछ गलत कह दिया तो आप कहोगे कि नहीं तूने पेमेंट देनी हो तो दो नहीं
देनी हो तो नहीं दो कि मैं तुमसे कभी पेमेंट मांगने ही नहीं आऊंगा।
तो बहुत सारी चीज आती है किसी वेंडर ने कुछ कह दिया, पेमेंट के लिए आपसे पूछ लिया तो आप एकदम एक्ससिटेड होकर उसको गलत बोल दो।
तो बहुत सारी चीजें होती है जो आपको यहां पर सहनी पड़ती है तो वह आपकी इंटेलीजेंसी से ज्यादा आपके इमोशन पर बिज़नेस बहुत ज्यादा डिपेंड करता है।
तो आप में इमोशनल इंटेलिजेंस भी होना बहुत जरूरी है आपके कॉन्फिडेंस से ज्यादा, आपकी मोटिवेशन से ज्यादा, आपकी इमोशनल इंटेलिजेंस बिजनेस की सफलता में काम करती है
वित्तीय प्रबंधन (Financial Management)
फोर्थ नंबर में बात करता हूं फाइनेंसियल मैनेजमेंट की।
आप अपने फण्ड को कैसे मैनेज करते हो कैसे मिनिमम रिसोर्सेज के द्वारा मैक्सिमम रिजल्ट लेते हो यह सब चीजें आपकी सफलता और विफलता को तय करती है।
तो आपको बेसिक नॉलेज होनी फाइनेंस की जरूरी है। मैं यह नहीं कहता कि आपको एक्सपर्ट होना चाहिए फाइनेंस में। आपको अकाउंट की डिग्री होनी चाहिए।
तो आपको बेसिक नॉलेज होनी फाइनेंस की जरूरी है। मैं यह नहीं कहता कि आपको एक्सपर्ट होना चाहिए फाइनेंस में। आपको अकाउंट की डिग्री होनी चाहिए।
आपके पास अकाउंट की डिग्री है या नहीं है, किसी तरह की डिग्री का बिजनेस से कोई संबंध नहीं होता।
फाइनेंशियल मैनेजमेंट का मतलब होता कि आप अपने फंड को कैसे मैनेज करते हो या जो पेमेंट आपके पास आ रही है या आप इनवेस्टमेंट कर रहे हो अपने प्रोडक्ट पर यह आप पार्टियों पर इनवेस्टमेंट कर रहे हो, क्रेडिट दे रहे हो माल या जो क्रेडिट आपके पास आपके वेंडर से आ रहा है तो इन सब चीजों को आप कैसे हैंडल करते हो।
कैसे आप अपने फाइनेंस को हैंडल करते हो ?
कैसे अपनी इन्वेस्टमेंट को हैंडल करते हो ?
कैसे अपनी पेमेंट को हैंडल करते हो?
कैसे अपने जो debitor है उनको हैंडल करते हो ?
कैसे अपने creditorको हैंडल करते हो ?
कैसे अपने स्टॉक को हैंडल करते हो ?
तो इन सब चीजों की बेसिक नॉलेज होना आपको बड़ा जरूरी है तो आप की फाइनेंसियल मैनेजमेंट भी आपकी सक्सेस पर बहुत मायने रखती है।
क्योंकि जो फैमिली बिजनेस में होते हैं उनके बच्चे जब उनका बिजनेस सीख रहे होते तो उनकी फाइनेंसियल मैनेजमेंट फिर बहुत हद तक सही हो जाती है।
लेकिन जब हम जैसे लोग बिजनेस में आते हैं तो हमारे लिए बिजनेस में mainly तो हमें कोई फाइनेंसियल मैनेजमेंट के बारे में कभी कोई बताता ही नहीं है हम पूरी थ्रू आउट लाइफ कभी यह नहीं सीखते कि हमें अपने पैसे को भी मैनेज करना है, हमने अपने फंड को भी मैनेज करना है।
हमें तो यह सिखाया जाता है कि आपको कमाना है, उसको खर्च करना है, आपको सेविंग करनी है लेकिन उस को मैनेज करना तो हमें कभी थ्रू आउट लाइफ सिखाया ही नहीं जाता।
तो अगर आपको बिजनस में सक्सेसफुल होना है तो बहुत इंपोर्टेंट है कि आपको अपने फाइनेंस को मैनेज करना आना चाहिए।
उपसंहार
तो इन चार चीजों के बारे में मैंने डिस्कस किया है जो मोटिवेशन से और कॉन्फिडेंस से कंही ज्यादा आगे है अगर आप बिजनेस में सक्सेस फुल होना चाहते हो।
क्यूंकि जब मैंने बिजनेस शुरू किया था तो मेरे को लगता है मैं बिल्कुल भी मोटीवेट नहीं था, उस वक्त तो कोई मोटिवेशनल स्पीकर भी नहीं होते थे, YouTube का भी इतना ट्रेंड नहीं था, इतने ज्यादा आर्टिकल भी मोटिवेशन के ऊपर नहीं लिखे जाते थे और इतना ज्यादा मैंने सुना भी नहीं है।
लेकिन मैंने अपनी जरूरत के हिसाब से बिज़नेस में आना चूज किया था ना कि मोटीवेट होकर या किसी को सुनकर या किसी को देखकर मैंने इसमें आने का निश्चय किया था क्योंकि मेरे को जरूरत थी और मेरे लिए लास्ट, हो सकता है कि मेरे जो लास्ट ऑप्शन भी वही था और कहीं ना कहीं मेरे को बिजनस में आना ही था।
तो बहुत सारे फैक्टर थे, कभी किसी दिन बात करूंगा कि मैं को बिजनस में क्यों आया मैं जॉब छोड़कर।
तो आपको मोटिवेशन से ज्यादा और फैक्टर पर भी ध्यान देना है, आपको कॉंफिडेंट से ज्यादा और ज्यादा चीजों पर भी ध्यान देना है अगर आप बिजनेस में सक्सेसफुल होना चाहते हैं।
इसके अलावा और भी बहुत सारे पॉइंट्स को सकते आप कमेंट सेक्शन में आप मेरे को लिखकर बता सकते हो कि और कौन से पॉइंट है या इनमें से कौन सा पॉइंट आपको ज्यादा जरूरी लगता है।
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