आदते हमारी सफलता और असफलता में बड़ी हमीयत रखती है।

आदते हमारी सफलता और असफलता में बड़ी हमीयत रखती है। 

आदतों की ताकत को पहचानना बड़ा मुश्किल काम है और बहुत बार समझाने के बावजूद भी लोग इसे समझने की कोशिश नहीं करते। 

मेरे एक वेंडर के पास एक लड़का काम करता है और वो मुझसे अपने नए स्टार्ट-उप के बारे में चर्चा करता रहता है। हो सकता है कि वो एक टैलेंटेड लड़का है और अपने स्टार्ट-उप को सफल भी कर ले पर एक चीज़ पर मै उसकी जब भी गौर करता हूँ तो मै उसको समझाने की कोशिश करता हूँ कि अपनी आदते सुधार ले। 

आदते बड़ी शक्तिशाली होती है। हम जो आदते अपनी जॉब में बना लेते है वो आदते हमारे स्टार्ट-उप में भी हमारा पीछा करती रहती है। 

उस लड़के को अनुशासन में रहना नहीं आता। लेट आना, बहुत ज्यादा छुटियाँ करना , अपने काम को टालते रहना इत्यादि। उसे लगता है कि वो यह चीज़े अपने स्टार्ट-उप में सुधार लेगा। पर यह मुझे नहीं लगता और मै बहुत बार उसको यह समझाने की कोशिश करता हूँ। 

अनुमानन अपने पढ़ा होगा कि 21 दिन में आदते बदल जाती है। पर आदते 21 दिन में नहीं बदलती। 21 दिन में हमे अपने नए तोर तरीके में आने में लगता है। पुरानी आदतों के साये से बाहर आने में लगता है। एक नयी आदत को बनने में 66 दिन या उससे ज्यादा दिन का समय लगता है। 21 से 66 दिन के बिच में छोटी छोटी गलतिया हमे पुरानी आदतों को बदलने से रोक सकती है और हम पुरानी आदतों को बदलने में असमर्थ महसूस करते है। 

जब वह लड़का अपने स्टार्ट-उप में जायेगा तो अधिकतम सम्भावना है कि वो अपनी अच्छी आदतों के साथ साथ अपनी यह बुरी आदते भी साथ लेकर जायेगा। 

उसको इनको छोड़ने में कम से कम 66 दिन का समय लगेगा यानि उसको अपने स्टार्ट-उप में अनुशासन के साथ काम करने में कम से कम 66 दिन नए अनुशासन के साथ काम करना पड़ेगा उसके बाद उसको अनुशासन के साथ काम करनी की आदत पड़ेगी। 

लेकिन अगर वो जॉब में ही अपने अनुशासन की आदत डाल ले तो उसको अपने स्टार्ट-उप के 66 दिन ख़राब नहीं करने पड़ेंगे। 

पर सबको लगता है कि वो अपना सर्वश्रेष्ठ अपने स्टार्ट-उप के लिए बचा कर रख रहे है और जॉब में वो उतना ही देंगे जिसके लिए उनको सैलरी मिलती है और यहीं से वो अपने स्टार्ट-उप का रास्ता बंद कर लेते है। 

अगर आपने 6 साल जॉब की और 6 साल में आपने जो आदत डाल ली वो आपको क्या लगता है कि आप अपने स्टार्ट-उप में आते ही छोड़ दोगे। 

नहीं ?

आप उसे नहीं छोड़ सकते। आप अपने काम में भी उतना ही देने की कोशिश करोगे जितना आपको मिलता है और शुरुआत में तो आप अपने स्टार्ट-उप से कुछ निकाल ही नहीं पाओगे। तो फिर अपनी आदत से अलग आप उसको कुछ अधिक दे ही नहीं सकते और अगर अधिक दे ही नहीं सकते हो आप अधिक पा भी नहीं सकते। 

तो अगर आप अपनी जॉब में अपना सर्वश्रेष्ठ देते हो तो तभी आप अपने स्टार्ट-उप में भी अपना सर्वश्रेष्ठ दे पाओगे , नहीं तो आपका स्टार्ट-उप कुछ ही समय में बंद हो जायेगा। 

प्रकृति का एक नियम है - कुछ पाने से पहले कुछ देना पड़ता है।  

 

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