कोई भी पूंजी को खोने का जोखिम नहीं लेना चाहता !

जोखिम जिंदगी में बहुत ही हम्मीयत रखता है। बुद्धिजीवी कहते है कि जोखिम के बिना बिज़नेस में सफल होना या उसे शुरू कर पाना भी बहुत ही मुश्किल होता है। 

मैंने पाया है कि लोग जोखिम लेने से डरते है यहाँ तक की उन जोखिमों को लेने से भी जहाँ उनको कोई ज्यादा नुकसान नहीं होने जा रहा है। 

कल मै अपने दोस्त से बात कर रहा था। बात में चर्चा का विषय था कि उसके पास पैसे नहीं है जिसकी वजह से वो काम शुरू नहीं कर सकता। यह लगभग हर व्यक्ति के बिज़नेस शुरू न कर पाने के कारणों में से एक है। जो वह कह रहा था वो सत्य हो पर जब उसके पास पैसा था और उसके पास विकल्प था बिज़नेस शुरू करने का और वो मेरे पास आया था तब भी वो बिज़नेस शुरू नहीं कर पाया। 

हो सकता हो आज उसके पास पैसा न हो , तब तो था और तब वह शुरू कर सकता था पर वह शुरू नहीं कर पाया। उसी तरह मैंने बहुत सारे लोगो को शुरू न कर पाते हुए देखा है। कारण यह नहीं था कि उनके पास पर्याप्त पूंजी नहीं थी। कारण था कि जितनी पूंजी वो आराम से बिज़नेस में निवेश कर सकते थे वो भी वो करना नहीं चाहते थे। 

न करने का केवल एक ही कारण था और वह था - वो उस पूंजी को खोने का जोखिम नहीं उठाना नहीं चाहते थे। उनको अंदर ही अदंर कही यह डर था कि अगर उनका बिज़नेस सफल नहीं हो पाया या वो अपने प्रोडक्ट्स/सर्विस को बेच नहीं पाए तो उनकी पूंजी डूब जाएगी और उनको नुकसान हो जायेगा। 

यह सबसे महत्वपूर्ण कारणों में से एक है। 

पर प्रत्यक्ष रूप से इसे मानने के लिए कोई तैयार नहीं होगा। 

पूंजी खोने का भय अच्छा भी हो सकता है और बुरा भी। पर यह परिस्थिति पर निर्भर करता है। 

अगर आप पूंजी खोने के भय से कार्य ही शुरू नहीं करते तो यह बुरा है और आपको यह हमेशा ही मुसीबत में डाले रखेगा। 

अगर आपने पूंजी का निवेश बिज़नेस में कर दिया, कार्य शुरू कर दिया और आपको डर है कि अगर आपने बिज़नेस पर ध्यान नहीं दिया तो आपकी पूंजी डूब जाएगी तो यह आपको लगन से कार्य करने पर मजबूर करता रहेगा और एक दिन आप उसका स्थापित कर पाओगे। 

जोखिम का अर्थ यहाँ पर यह नहीं है कि आप अपना सबकुछ दांव पर लगा दो। जोखिम का अर्थ है कि जितनी पूंजी खोने से आप बहुत बड़ी मुसीबत में नहीं फंसोगे। आपको थोड़ी दिक्क्त हो सकती है पर उससे आपके अस्तित्त्व पर ज्यादा खतरा नहीं है। उस पूंजी का आपको बिज़नेस के किसी भी रूप में निवेश अवश्य करके कोशिश करनी चाहिए। 

पूंजी लगाकर फिर उससे बिज़नेस को सफल करने के हर दांव पेंच सिखने चाहिए ताकि आपकी पूंजी आपको एक बड़ा लाभ दे न कि आप अपने फैसले पर अफ़सोस करे। 

अपनी पूंजी को बढ़ते हुए देखना सबको अच्छा लगता है पर उसके लिए कड़ी मेहनत, धर्य, लगन, निरंतर प्रयास, और अटूट इरादे की जरूरत होती है। 

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