मैंने अपना बिज़नेस मॉडल कैसे बनाया?

बहुत दर्शक और पाठक मुझसे पूछते है कि अपने अपना बिज़नेस मॉडल कैसे बनाया। 

मै जिस बिज़नेस मॉडल पर काम करता हूँ वो कोई यूनिक या नया नहीं है। मेरे अनुमान के हिसाब से इंडिया में फार्मास्यूटिकल कंपनियां उसको 1990 से कर रही है। हो सकता है पहले से या बाद में शुरू किया हो पर मेरे अनुमान के हिसाब से यह तब से ही हो रहा है। 

अपना बिज़नेस शुरू करने से पहले मुझे इस मॉडल में करीबन 7 से 8 साल का अनुभव रहा है। मै जिस फार्मा कंपनी के लिए काम किया करता था वो इसी मॉडल पर काम करती थी। इस मॉडल को हम फार्मा फ्रैंचाइज़ी और pcd मॉडल कहते है। 

फार्मा फ्रैंचाइज़ी किस तरह काम करती है उसके बारे में मै आर्टिकल लिख चूका हूँ उसका लिंक : https://blog.pharmafranchisehelp.org/2020/08/pharma-franchise-model-benefits-profitability-ratio-profit-margin.html

इस मॉडल की शुरुआत होने का कारण था कि छोटी कंपनियां बड़ी कंपनियों से प्रतिस्पर्धा नहीं कर सकती थी क्यूंकि उनके पास सेल्स टीम रखने का पैसा नहीं होता था। एक सेल्स टीम को मैनेज करने के लिए बहुत पूंजी चाहिए और फिर भी कोई गारंटी नहीं होती की आप सेल कर पाओ। 

दूसरी तरफ बड़ी कंपनियों की डिस्ट्रीब्यूशन लेने के लिए लोगो के पास इतना पैसा नहीं हुआ करता था। उनका डिपाजिट ही काफी बड़ा होता था। तब किसी ने दिमाग लगाया होगा कि छोटी कंपनी और जो लोग फार्मा में डिस्ट्रीब्यूशन शुरू करना चाहते है वो आपस में मिल जाये तो दोनों के लिए ही यह फायदे का सौदा होगा। 

ओर हुआ भी ऐसा ही। यह दोनों के लिए ही फायदे का सौदा सिद्ध हुआ और थोड़े ही समय में यह काफी फेमस हो गया। आज इस मॉडल में भी बहुत ही ज्यादा प्रतिस्पर्धा है। 

लेकिन आयुर्वेद में आने के बाद मुझे इसमें बदलाव करना पड़ा क्यूंकि आयुर्वेदिक मार्किट थोड़ी अलग होती है फार्मा से। तो फ्रैंचाइज़ी मॉडल को मुझे डिस्ट्रीब्यूशन मॉडल में बदलना पड़ा क्यूंकि आयुर्वेदिक में रिटेल फ्रैंचाइज़ी का कांसेप्ट ज्यादा लोकप्रिय है। रिटेल फ्रैंचाइज़ी में आने की मेरी बड़ी इच्छा है और इस पर मै काम करूंगा पर पहले मै अपने ऑनलाइन सेलिगं पोर्टल पर काम कर रहा हूँ। 

जब 2010 के आस पास मैंने फार्मा कंपनी को ज्वाइन किया और फ्रैंचाइज़ी मॉडल मार्केटिंग में आया तब ऑनलाइन तरीके से खुद की वेबसाइट को प्रमोट करने को ज्यादा उपयोग नहीं किये जाता था। ड्रग बुक्स, फार्मा एक्सपो, b2b पोर्टल्स या जगह जगह जा कर फ्रैंचाइज़ी ढूंढ़ने का चलन ज्यादा लोकप्रिय था। हो सकता है कि बहुत सी कम्पनिया ऑनलाइन का उपयोग तब करती हो पर मेरी कंपनी नहीं करती थी। 

यहाँ तक कि वो हमे फ्रैंचाइज़ी ढूंढ़ने के लिए बहुत संघर्ष करना पड़ता था। मैंने जहाँ से भी कांटेक्ट नंबर मिले उनको कॉल किया। जिस भी तरह डिटेल मिल जाती उसका उपयोग करते। एक एक पार्टी को हर हफ़्ते कम से कम छह महीने तक फ़ोन किये पर कोई रिस्पांस नहीं मिला।

यह सब कुछ बहुत ही निराश करने वाला था। पार्टियां जुड़ तो रही थी पर यह सही तरीका नहीं था। 

कंपनी के साथ अनबन ने भविष्य के लिए कुछ सोचने पर मजबूर कर दिया। पर यहाँ से मेरे लिए एक नए दौर की शुरुआत हुई। पैसा न होना कभी कभी आपके लिए वरदान बन जाता है। 

आपको मुक्त में डिस्ट्रीब्यूटर्स की क्वेरी चाइये तो कुछ ऐसा करना होगा जो दूसरे नहीं कर रहे हो। उस वक़्त मेरी जानकारी के हिसाब से कोई ज्यादा खाश फार्मा फ्रैंचाइज़ी पर ब्लॉग्गिंग नहीं कर रहा था। अगर कर भी रहे थे तो बहुत कम लोग थे। यह बात है 2014 की। 

मैंने फार्मा फ्रैंचाइज़ी पर ब्लॉग्गिंग शुरू की। मात्र 5 आर्टिकल लिख पाया और छोड़ दिया। आगे कुछ लिखने को मिला ही नहीं। फिर किसी व्यक्ति ने एक प्रश्न पूछा आर्टिकल पढ़ कर। उसका रिप्लाई किया और फिर तो लगातार ब्लॉग्गिंग शुरू हो गयी। 

यह इतना कामयाब हुआ कि दिन में 10 -10 क्वेरी आने लगी और साथ में एडसेंसे से पैसे भी। और फ्रैंचाइज़ी मॉडल में जितनी ज्यादा क्वेरी आपके पास आती है उतने ही ज्यादा आपके साथ नए फ्रैंचाइज़ी के जुड़ने की सम्भावनाये होती है। 

मेरा काम करने का मॉडल फ्रैंचाइज़ी डिस्ट्रीब्यूशन है और मै उसी तरह से काम करता हूँ। 

जरूरी नहीं होता कि आपके पास कुछ नया हो , आप पुराने कामो को भी नए तरीके से कर सकते हो। फ्रैंचाइज़ी डिस्ट्रीब्यूशन पुराना कांसेप्ट है पर इसे मैंने अलग तरीके से किया। 

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