समझदार लोगो के किसी काम को न कर पाने का कारण
बहुत बार में सोचता हूँ कि ऐसा क्या था जिसने मुझे मेरे संघर्ष के समय जिन्दा रखा।
मै युद्ध की बात नहीं कर रहा हूँ। मै बात कर रहा हूँ अपनी बिज़नेस स्टार्टअप जिंदगी की।
जॉब छूटने के बाद, आपके पास दो रास्ते होते है। नयी जॉब ढूढ़ी जाये या अपना स्टार्टअप आगे बढ़ाया जाये। मेरे विचार में जब आपके पास बिज़नेस में लगाने के लिए पूंजी न हो तो फैसला और भी कठिन हो जाता है।
मैंने अपना स्टार्टअप , पार्ट टाइम तौर पर जॉब के साथ ही शुरू कर दिया था। मेरे पास नींव थी पर मकान बनाने के पैसे नहीं थे। तो मकान कैसे बन पाया।
जॉब छूटने से लेकर Elzac के लाभ में आने तक का सफर मै संघर्ष भरा कह सकता हूँ पर मैंने उस दौर में इतनी मेहनत की कि मुझे कभी सोचने का मौका ही नहीं मिला कि सब कुछ कैसे होगा।
कहाँ से पैसा आएगा , कैसे प्रोडक्ट बनेंगे , कैसे डिस्ट्रीब्यूटर्स मिलेंगे , कैसे आगे बढ़ा जायेगा ? बस मै अपने काम में इतना मगन था कि मेरा हार का डर मुझसे कोसो दूर था। जब तक आप स्थिति का ज्यादा मूल्यांकन नहीं करते तब तक आपको डर या असफलता जैसी कोई संभावनाएं नजर नहीं आती।
आपका ध्यान केवल आपके लक्ष्य पर केंद्रित होता है। आपको नहीं पता होता कि जो हो रहा है या जो आप कर रहे हो वह गलत है या सही, आप सही रास्ते पर जा रहे हो या गलत, बस आप चले जा रहे होते हो। आपको हार या जीत का कोई फर्क नहीं पड़ रहा होता है।
आप सफर में गिर रहे होते हो, उठ रहे होते हो पर आप आगे बढ़ रहे होते हो।
अगर आप सही हो तो आपको सही सलाह देने वाले लोग भी मिल जायेंगे। अगर आप गलत दिशा में भी बढ़ रहे हो तो भी वो आपको आपकी मंजिल तक लेकर जरूर जाएगी बस आपको खुद पर विश्वास और असफलता की हर गुंजाहिश को दरनिकार करना है।
मै मानता हूँ कि मेरा सकारात्मक पहलू इस सफर में यह भी हो सकता है कि मैंने अपनी स्थिति का कभी गहन विश्लेषण नहीं किया। जो हो रहा था उसे मै स्वीकार कर रहा था और आगे बढ़ता चला जा रहा था। मैंने कभी नहीं सोचा कि क्या होगा अगर मै असफल हो गया।
मैंने अपनी जॉब का भी आनंद लिया जब तक मै जॉब मै था और मैंने अपने बिज़नेस सफर का भी आनंद लिया। Elzac को स्थापित करने के बाद कहीं बार मुझे डर लगा कि क्या होगा अगर मेरी सेल गिर जाये या डिस्ट्रीब्यूटर्स प्रोडक्ट्स लेना बंद कर दे। उस पर नियंत्रण करना मेरे लिए एक बहुत बड़ी चनौती बनकर कर उबरी पर हमेशा मैंने खुद को नियंत्रित करने की कोशिश भी और कामयाब भी हो पाया।
आज भी कभी कभी वो डर निकल कर सामने आ जाता है और उसको नियंत्रित करना पड़ता है। पर स्थापित करने तक के सफर में मेरे मन में कभी यह विचार नहीं आया।
असफलता का डर हमे आगे बढ़ने से रोकता है और अगर असफलता के बारे में हमे सोचने का मौका ही न मिले तो हम बिना विचारे ही आगे बढ़ पाते है और कुछ ऐसा कर पाते है जो हम खुद कभी सपने में भी नहीं सोच सकते।
समझदार लोगो के किसी काम को न कर पाने का एक कारण यह भी होता है कि वो परिस्थितियों पर गंभीरता से विचार करते है और सफलता तथा असफलता के पहलुओं पर बड़ी गहराई से मंथन करते है। नतीजा यह रहता है कि असफलता का प्रतिशत हमेशा सफल होने के प्रतिशत से ज्यादा ही होता है और अन्तः वो इस निष्कर्ष पर पहुंचते है कि उस काम को न करना ज्यादा सुरक्षित है बजाये उसको करने के।
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