मैंने अपना बिज़नेस सफल कैसे बनाया?
मैंने अपना बिज़नेस सफल बनाया इसको मै कहीं तरीको से बता सकता हु। और हर बार जब भी मुझसे कोई पूछता है तो मै इसको थोड़ा अलग तरीके से बता सकता हूँ।
मेरे बिज़नेस मॉडल के लिए सबसे जरूरी है कि आपके पास ज्यादा से ज्यादा लोग आपको डिस्ट्रीब्यूटर बनने के लिए कांटेक्ट करे या आप ज्यादा से ज्यादा लोगो को कांटेक्ट करो।
बात छोटी सी होती है कि आप लोगो से कांटेक्ट कर रहे हो या लोग आपसे कांटेक्ट कर रहे है पर आपके बिज़नेस पर पड़ने वाला इसका असर बहुत गहरा होता है।
अगर आप किसी के पास जा रहे हो तो वहां टर्म एंड कंडीशंस सामने वाले पर्सन की होगी और अगर कोई आपके पास आ रहा है तो वहाँ ज्यादा मोके है कि आपकी टर्म एंड कंडीशन पर काम किया जाये।
मेरे पास पैसे नहीं थे तो मै किसी को क्रेडिट नहीं दे सकता था। और यह मेरी मुख्य टर्म एंड कंडीशन थी जिसके साथ में कोम्प्रोमाईज़ नहीं कर सकता था। इसी वजह से मैंने फैसला किया कि मै किसी भी जानकर पार्टी को एप्रोच नहीं करूंगा क्यूंकि वहां पर आप एडवांस पेमेंट नहीं ले सकते।
आपको केवल वहीं लोग चाहिए थे जिनको आपके प्रोडक्ट्स की जरूरत हो और जो खुद आपके पास चल कर आये। मतलब कि आपसे कांटेक्ट करे। आपकी वेबसाइट के द्वारा, सोशल मीडिया के द्वारा या किसी भी तरह से।
तो मैंने अपने लिए मार्केटिंग स्ट्रेटेजी बनायीं कि मुझे अपनी कंपनी की वेबसाइट को गूगल पर अच्छी रैंकिंग के लिए काम करना है। जैसा मैंने कहा कि पैसे मेरे पास थे नहीं, किसी एजेंसी से मै यह करा नहीं सकता था। तो मैंने खुद वो सभी चीज़े करने की कोशिश की।
मैंने उसके बारे में पढ़ना शुरू किया। फिर पता चला कि किसी को भी पूरी तरह नहीं पता गूगल कैसे काम करता है। कुछ रैंकिंग फैक्टर्स होते है और सभी उनके द्वारा ही गूगल पर रैंकिंग बढ़ाने के लिए काम करते है। तो जब सब ही ऐसे ही करते है तो मैंने भी वही करनी की सोची।
करता रहा और ज्यादा से ज्यादा गूगल के बारे में जानने के लिए आर्टिकल पढ़ता रहा। इसी चरण में मेरा ब्लॉग भी अच्छा काम करने लगा। कंपनी तो चल रही थी या नहीं ज्यादा फर्क नहीं पड़ रहा था बस इसी बहाने ब्लॉग से इनकम आनी शुरू हो गयी थी और कंपनी वेबसाइट की रैंकिंग भी अच्छी होती जा रही थी।
कुछ कीवर्ड्स पर पहले पेज पर आनी शुरू हो गयी थी। तो लोगो का विजिट भी वेबसाइट पर बढ़ने लगा। जैसा मैंने अपने आर्टिकल : मेरा बिज़नेस सफर और मेरा बिज़नेस मॉडल ! में लिखा है मै प्रोडक्ट रेंज भी बढ़ाता रहा।
मुझे इन सबका फायदा हुआ और लोग मेरे साथ जुड़ने लगे। काफी संघर्ष किया पर जुड़ने वालो की संख्या टूटने वालो से ज्यादा ही रही। फिर समय आया कि लोग साथ चलने लगे। और डिस्ट्रीब्यूटर्स की संख्या बढ़ने लगी.पुराने डिस्ट्रीब्यूटर्स की औसत सेल आने लगी और नए डिस्ट्रीब्यूटर्स से ग्रोथ आनी शुरू हुए।
एक समय आता है कि बिज़नेस ऑटो पायलट मोड पर चला जाता है। आपको केवल तकनीकी खराबी का ध्यान रखना है बाकि अपने आप होता रहता है। आपको केवल भविष्य के कामो पर ध्यान देने की जरूरत है।
मेरा सभी स्टार्टअप से यही अनुरोध है कि मार्किट की रिसर्च करने से पहले आपको अपने संशाधनो पर रिसर्च करने की जरूरत है कि आपके पास क्या है और आप कैसे मार्किट में जगह बना सकते हो।
क्या बिकता है क्या नहीं ! यह ज्यादा असर नहीं डालता। अगर जो प्रोडक्ट आपके पास है , वो मार्किट में बिकता है तो आपको यह ढूंढ़ने की जरूरत है कि आप अपने कस्टमर की अटेंशन कैसे प्राप्त कर सकते हो। और उसपर काम करने की जरूरत है।
अगर आप उसपर अच्छी तरह काम करते हो तो आपको सेल्स में संघर्ष करने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
Comments
Post a Comment