अगर मैदान में उतरेगा ही नहीं तो जीतेगा कैसे ?
अगर आप रास्ता भटकने से डरते है या हारने से डरते है तो बहुत ही कम चान्सेस है कि आप कुछ कर पाएंगे।
उदहारण के तौर पर ले लीजिये - अगर आप किसी खेल में मैच जीतना चाहते है तो उस मैच के सामान्यत: तीन परिणाम हो सकते है।
- जीत
- हार
- बराबर/रद्द
इसके अल्वा किसी भी परिणाम की सम्भावना कम ही होती है। इन तीनो में से भी हार या जीत की सम्भावना 49-49% रहती है और बराबर/रद्द की सम्भावना 1-2% रहती है।
अगर सभी लाइट ग्रीन होगी तभी घर से निकलूंगा तो यह सम्भव नहीं है।
ऐसा ही तब होता है जब हम बिज़नेस शुरू करने के बारे में सोचते है।
बिज़नेस शुरू करने में ये तीनो परिणाम हो सकते है। और सम्भावना भी समान ही रहती है।
या तो आप उसे कर लेंगे वो कामयाब हो जाता है। या आप बुरी तरह असफल हो जायेंगे और आपकी लगाई सारी पूंजी डूब जाएगी और आप असफल हो जायेंगे। या आप न लाभ कमा पाएंगे और न हानि होगी , जितनी पूंजी लगाई थी वो बच जाएगी।
परिणाम कुछ भी हो पर इतना तो निश्चित है कि आपको खेलना तो पड़ेगा ही अगर आपको जीतना है।
आपको अगर बिज़नेस में सफल होना है तो भी आपको बिज़नेस तो शुरू करना ही पड़ेगा।
बिना शुरू करे आप कहो कि मुझमे क्षमता तो बहुत है पर मेरी साथ प्रॉब्लम बहुत है इसीलिए मै इसे नहीं कर सकता नहीं तो मै आग लगा देता।
या आप दुसरो को सफल होते देखो और सोचो कि मै क्यों नहीं हो पाया जबकि यह हो गया और यह मुझसे ज्यादा समझदार, इंटेलीजेंट और ज्यादा अक्षम नहीं था फिर भी वो कर गया।
और मै उससे ज्यादा काबिल होकर भी यह कर नहीं पाया।
मेरा एक दोस्त मुझसे बोला कि तुझे सेल्स में हमसे कम ज्ञान था, तेरी जॉब भी हमसे कम स्तर की थी , तेरी सैलरी भी हमसे कम थी पर तू कर गया और हम नहीं।
मेरा केवल एक ही जवाब था - मैंने शुरुआत की। मैंने खेलने का फैसला किया और तूने हर बार हार के डर से कि अगर नहीं चला तो क्या होगा, कभी शुरू ही नहीं किया।
मै कर पाया क्यूंकि मैंने इसको शुरू किया और तूने नहीं किया क्यूंकि तूने शुरू ही नहीं किया। तू शुरू करेगा तभी तो कुछ होगा।
अगर मैदान में उतरेगा ही नहीं तो जीतेगा कैसे ?
यह कुछ ऐसा है एक व्यक्ति भगवान से मांग रहा है कि मुझे एक बच्चा दे दे। हर रोज यही मांगता है। एक दिन भगवान नहीं कहा - कि पहले शादी तो कर ले।
लोग कहते है कि मै सफल नहीं होता। पर 99% लोग तो शुरू ही नहीं करते। तो बिना शुरू किये सफल कहाँ से हो पाओगे।
मुझे सफल होना है। मुझे सफल होना है। पर किस में होना है यह नहीं पता। अगर पता भी है तो उसको शुरू नहीं करेंगे।
हार जीत , सफलता असफलता , लाभ हानि , ये सब तो सेकेंडरी चीज़े है। प्राइमरी चीज़ जो है वो है शुरुआत करना।
आप सफल होते हो या असफल , यह तो बाद की बात है। आप मैदान में उतरते हो या नहीं। आप बिज़नेस शुरू करते हो या नहीं।
Comments
Post a Comment